Surdas Biography in Hindi: भक्ति कालीन अनन्य एवं अद्वितीय महाकवि सूरदास उन्होंने अपने जीवन काल में सवा लाख से भी ज्यादा पद रचे ऐसे “कवि सूरदास का जीवन परिचय” नीचे प्रस्तुत किया गया है. सूरदास जी के जीवन परिचय (Surdas Biography in Hindi) को पढ़ने पर आप को उनके बारे में बहुत सी जानकारी और उनका साहित्यिक योगदान जानने को मिलेगा.
सूरदास महान कवि होने के साथ-साथ श्री कृष्ण भगवान के अनन्य भक्त थे उन्होंने अपने जीवन काल में संपूर्ण पद श्री कृष्ण की भक्ति में पूर्णता हरलीन होकर ही गाए थे. आइए पढ़ते हैं- Biography of Surdas in Hindi.
Surdas Biography in Hindi (सूरदास का जीवन परिचय )
नाम – महाकवि सूरदास |
जन्म– सन 1478 ई0 “रुनकता “( पुख्ता सबूत नहीं है ) |
माता का नाम – प्रेमवती ( पुख्ता सबूत नहीं है ) |
पिता का नाम0 – पंडित राम दास सारस्वत |
शिक्षा – पुराण एवं उपनिषदों |
धर्म – हिन्दू ( ब्राह्मण ) |
गुरु का नाम– आचार्य वल्लभाचार्य |
पत्नी का नाम– रत्नावली ( पुख्ता सबूत नहीं है ) |
भक्ति – श्री कृष्णभक्ति |
रचनाएं– सूरसागर ,सुरसारावली, साहित्य-लहरी |
साहित्य क्षेत्र में स्थान– सगुण कृष्ण भक्ति काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि |
मृत्यु – 1583 ई0 गोवर्धन के पास “पारसोली” |
पंडित सूरदास जी के जन्म स्थान एवं समय के संबंध में कई मत दिए गए हैं अतः इनका कोई पुख्ता सबूत नहीं है. कुछ प्रमाणों के अनुसार भक्तिकाल के महाकवि सूरदास का जन्म “रुनकता” नाम के गांव में सन 1478 ई0 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इसी के साथ कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान “सीही” नामक स्थान पर मानते हैं. सूरदास जी बचपन से ही अंधे थे या नहीं इस संबंध में भी बहुत से विद्वानों ने अपना अपना मत दिया है.
कुछ विद्वान कहते हैं कि अगर सूरदास जी अंधे थे तो उन्होंने प्रकृति और बाल मनोवृत्तिओं का इतना अच्छा वर्णन कैसे किया है. हो सकता है कि वह बाद में अंधे हो गए हैं. सूरदास का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनके पिता जी का नाम पंडित राम दास सारस्वत था और माता का नाम प्रेमवती था. यह बचपन में काफी गरीब थे. इनका बचपन काफी कठिनाइयों के साथ गुजरा.
एक बार की बात है कि सूरदास जी आचार्य वल्लभाचार्य जी के दर्शन करने के लिए मथुरा में गऊघाट पर आए हुए थे. वहां उन्होंने गुरु जी को कुछ मीठे पद गाकर सुनाएं और उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया, तभी से आचार्य वल्लभाचार्य सूरदास को अपना शिष्य बना लिया और उन्हें शिक्षा दीक्षा देने लगे. कवि सूरदास गुरु जी से मिलने से पहले दीन दुखियों के लिए पद गाया करते थे, किंतु गुरु जी के कहने पर सूरदास श्री कृष्ण भगवान जी के लिए गीत गाने लगे और फिर उसी में रम गए.
इनकी कृष्ण भक्ति के प्रति लगन को देखकर गुरुजी ने उन्हें प्रसिद्ध श्रीनाथ मंदिर में कीर्तन करने का मौका दे दिया ,और एक जिम्मेदारी उन पर सौंप दी. सूरदास जी भी पूरे मन और लगन के साथ श्रीकृष्ण की भक्ति में भजन एवं कीर्तन करने लगे. उन्होंने उस मंदिर को ही अपना निवास स्थान भी बना लिया.
Literary Introduction of Surdas in Hindi (सूरदास का साहित्यिक परिचय)
सूरदास जी के ही अंदर एक विशाल काव्यात्मक आत्मा थी. श्री कृष्ण भक्ति को ही इन्होंने अपनी काव्य साहित्य का मुख्य विषय बनाया और यह श्री कृष्ण भगवान की सगुण रूप में भक्ति करते थे. इसी कारण यह सगुण कृष्ण भक्ति काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि भी कहलाते हैं. उन्होंने बेहद उत्तम मानव हृदय की कोमल भावनाओं का चित्रण किया है. सूरदास ने हिंदी साहित्य में अपनी एक विशेष छाप छोड़ी है.
महाकवि सूरदास ने अपने जीवन काल में लगभग सवा लाख से ज्यादा पदों की रचना की. जिनका बेहतर संरक्षण ना हो पाने की वजह से उनमें से केवल 8 से 10 हजार ही प्राप्त हुए हैं . जोकि यह सभी काशी नागरी प्रचारिणी सभा के संग्रहालय में सुरक्षित रखी गई है. अभी तक मिले सबूतों के आधार पर इनकी कुल रचनाएं 25 मानी जाती है, किंतु उनमें से सिर्फ तीन ग्रंथ ही मिले हैं. जो कुछ इस प्रकार है- सूरसागर, सुरसारावली, साहित्य-लहरी.
Surdas’s Language Style in Hindi (सूरदास की भाषा शैली)
महान कवि और सगुण कृष्ण काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि सूरदास ने अपनी सभी रचनाओं में ब्रज भाषा का प्रयोग किया है. उनके सभी पद श्री कृष्ण से संबंधित है इन्होंने बहुत ही सरल और प्रभावपूर्ण शैली का प्रयोग किया है. इनके सारे पद मुक्तक शैली पर आधारित हैं. कथा वर्णन विवरणात्मक शैली का प्रयोग किया गया है.
Compositions of Surdas in Hindi (सूरदास की रचनाएं )
सूरसागर- यह सूरदास जी की की इकलौती प्रमाणिक रचना है. और यह रचना श्री भागवत गीता से संबंधित है .इसमें श्री कृष्ण भगवान की बाल लीला और उनके बाल्यावस्था के संवादों का बड़ा ही सुंदर चित्रण किया गया है.
सुरसारावली– यह ग्रंथ सूरसागर का एक भाग है. इसमें पदों की संख्या 1107 है ,किंतु अभी विवाद की परिस्थिति में है .यह प्रमाणित नहीं किया जा रहा है कि यह ग्रंथ सूरदास का ही है.
साहित्यलहरी- इस ग्रंथ में लगभग 118 पदों का समन्वय है और श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया है .कुछ-कुछ महाभारत से संबंधित है.
Surdas’s Death in Hindi (सूरदास जी की मृत्यु)
कृष्ण की भक्ति करते करते सन 1583 ई0 गोवर्धन के पास “पारसोली” नामक गांव में यह परलोक को सिधार गए. भले ही सूरदास जी ने अपनी देह त्याग की हो किंतु के काव्य प्रेमियों के हृदय में साकार रूप में विराजमान है. उनके द्वारा दिया गया साहित्य युगो युगो तक भक्तों के कंठ पर विराजमान रहेगा.
♦Conclusion♦
सबसे पहले यह लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. यहां हमने आपको महान कभी सूरदास जी के साहित्यिक, पारिवारिक जीवन परिचय एवं उनकी रचनाओं से अवगत कराया.
आशा करते हैं कि पंडित सूरदास जी पर लिखा गया यह लेख Surdas Biography in Hindi | पंडित सूरदास का जीवन परिचय यह लेख आपको बहुत पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो नीचे हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और इस लेख को अपने परिवारिक एवं मित्रों के साथ Share करें.
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बहुत ही बढ़िया लेख धन्यवाद बहुत अच्छी जानकारी दी है अपने सूरदास जी के