रीतिकाल के एक मुस्लिम कृष्णभक्त कवि रसखान का जीवन परिचय

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Raskhan ka jivan Parichay : भगवान योगीराज श्री कृष्ण के अनन्य भक्त रसखान एक ऐसे कवि है; जिनकी कृतियां हमे हमारे विद्यालय की पुस्तकों में कई बार पढ़ने को मिली है और आज हम इसी महान कवि को याद करते हुए इनकी जीवन कथा पर रोशनी डालेंगे। प्रस्तुत इस लेख के माध्यम से हम रसखान का जीवन परिचय (Biography of Raskhan in Hindi) पढ़कर उनके साहित्यिक योगदान, कृतियों एवं भाषा-शैली जैसी महत्वपूर्ण विषयों के बारे में जानेंगे।

रसखान का परिचय (संक्षिप्त में)

Raskhan biography in hindi

पूरा नाम सैय्यद इब्राहीम (रसखान)
जन्म 1538 ई0 (निश्चित नहीं है)
जन्म स्थान पिहानी (निश्चित नहीं है)
मृत्यु 1618 ई0 (निश्चित नहीं है)
मुख्य रचनाएं ‘सुजान रसखान’ और ‘प्रेम वाटिका’

रसखान का जीवन परिचय (Biography of Raskhan in Hindi)

हिन्दी साहित्य और ब्रज-भाषा के कवि रसखान मुसलमान होते हुए भी कृष्णभक्त थे और कृष्णभक्ति पर लिखने वाले मुसलमान कवि की ये एक मात्र उदहारण हैं। इनका मूल नाम सैयद इब्राहिम माना जाता है। इनका जन्म 1533 ई0 से 1538 ई0 के बीच में पिहानी में हुआ था। इनके जीवन के बारे ने अभी भी कई भ्रांतियां हैं अर्थात् विद्वानों के बीच इनके जन्म और जीवन के सम्बन्ध में अभी भी मतभेद है।

इनके द्वारा रचित ग्रन्थ प्रेम-वाटीका से प्राप्त संकेत के आधार पर इनका सम्बन्ध दिल्ली राजवंश से माना जाता है। रसखान रात-दिन श्रीकृष्ण भक्ति में लीन रहते थे। इन्होंने गोवर्धन धाम अर्थात् गोकुल में जाकर अपना जीवन श्रीकृष्ण के भजन-कीर्तन में लगा दिया। ऐसा कहा जाता है, कि इनकी कृष्णभक्ति से प्रभावित होकर गोस्वामी विट्ठलनाथ जी ने इन्हें अपना शिष्य बना लिया। इन्होंने गोस्वामी विट्ठलनाथ जी से वल्लभ सम्प्रदाय के अन्तर्गत पुष्टिमार्ग शिक्षा ली थी।

वैष्णव धर्म में शिक्षा लेने पर इनका लोकिक प्रेम अलौकिक प्रेम में बदल गया और रसखान श्रीकष्ण के अनन्य भक्त बन गए। ऐसी मान्यता है कि प्रेम वाटिका (1614 ई0) इनकी अन्तिम काव्य कृति है। सम्भवत : इस रचना के कुछ वर्ष बाद 1618 ई0 में इनकी मृत्यु हो गई।

रसखान का साहित्यिक परिचय (Literary Introduction of Raskhan)

कवि रसखान का वास्तविक नाम सैय्यद इब्राहिम माना जाता है। रसखान का मुसलमानो कि पठान जाति से संबंध था और इन्हे मुसलमान बादशाहो के वंशज भी बताया जाता है। रसखान ने श्री कृष्ण की भक्ति में पूर्ण रूप से अनुरक्त होकर अपने काव्य सृजन किया। अरबी और फारसी भाषा पर इनकी बहुत अच्छी पकड़ थी।

काव्य और शास्त्र का भी इन्होंने गहन अध्यय किया था। ये अत्यन्त भावुक प्रवृत्ति के थे। संयोग और वियोग दोनों पक्षों की अभभिव्यक्ति इनके काव्य में देखने को मिलती है। श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम ने ही इन्हें कवि के रूप पहचान दिलाई।

इन्होंने पूर्ण रूप से समर्पित हो कर श्री कृष्ण के बाल रूप एवं यौवन के मोहक रूप पर अनेक कविताएँ लिखी हैं। काव्य में जितने भी सौन्दर्य तथा गुण होते हैं। उनका प्रयोग इन्होंने अपनी कविताओं में भलीभांति किया है। सरसता, सरलता एवं माधुर्य इनकी विशेषताएँ हैं।

रसखान की कृतियां (Raskhan’s Compositions)

रसखान द्वारा रचित दो ही रचनाएँ उपलब्ध है- सुजान रसखान और प्रेमवाटिका

  • सुजान रसखान – इसमें कवित्त, दोहा, सोरठा और सवैयों का 139 छन्दो का संग्रह है।
  • प्रेमवाटिका – इसमें केवल 25 दोहे हैं। इस रचना में प्रेम रस का पूर्ण परिपाक हुआ है। रसखान की समस्त रचनाएँ कृष्णभक्ति एवं ब्रज प्रेम में लिप्त हैं।

रसखान का साहित्य में स्थान (Raskhan’s place in Literature)

कृष्ण भक्त कवियों में रसखान का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। एक मुसलमान होते हुए भी इनका श्री कृष्ण के प्रति इनका असिम प्रेम बहुत ही आश्चर्यजनक प्रतीत होता है। वे अपने प्रेम की तन्मयता, भाव-विह्रलता और आसमक्ति के उल्लास  के लिए जितने प्रसिद्ध है, उतने ही अपनी भाषा की मर्मिकता, शब्दों के चयन और व्यंजक शैली के लिए की मुक्त साधना है और इनका श्रृंगार वर्णन भावुक ह्रदय की उन्मुक्त अभिव्यक्ति है। इनके काव्य सदैव मन में सहज उद्गार हैं।

रसखान की भाषा शैली (language style of Raskhan)

इनकी कविता में जनसाधारण योग्य ब्रज भाषा का ही प्रयोग हुआ हैं। इनके काव्य में भाषा का स्वरूप अत्यन्त सरल व सहज है। अनेक स्थानों पर प्रचलित मुहावरों का प्रयोग इनकी रचनाओं में मिलता हैं। दोहा, कवित्त और सवैया तीनों छन्दों पर इनका पूर्ण अधिकार था। रसखान के सवैये आज भी कृष्ण भक्तो के लिए कंठआहार बने हुए हैं। अलंकारों के प्रयोग से भाषा का सौन्दर्य और भी बढ़ गया है। रसखान ने अपने काव्य में सरल और परिमार्जित शैली का प्रयोग किया है।

FAQ – कवि रसखान से जुड़े सवाल जवाब

Q.1- रसखान का जन्म कब हुआ था ?

रसखान का जन्म एक अपवाद का विषय बना हुआ है; कुछ इतिहासकारों के अनुसार रसखान का जन्म 1538 ई0  बताया गया है।

Q.2- रसखान की मृत्यु कब हुई थी ?

माना जाता है की ; कवि रसखान की मृत्यु सन 1618 ई0 में हुई।

Q.3- रसखान का जन्म कहां हुआ था ?

ऐसा माना जाता है कि कवि रसखान का जन्म पिहानी में हुआ था।

Q.4- रसखान किस धारा के कवि हैं ?

रसखान कृष्ण भक्ति काव्य धारा के कवि हैं।

Q.5- रसखान का मूल वास्तविक नाम क्या था ?

रसखान का वास्तविक नाम सैयद इब्राहिम था।

Q.6- रसखान की प्रमुख रचनाएं कौन सी हैं ?

सुजान रसखान और प्रेम वाटिका, रसखान की दो प्रमुख रचनाएं हैं।

Q.7- रसखान कृष्ण भक्त कैसे बने ?

हमेशा कृष्ण भक्ति में लीन रहने वाले रसखान जब , योगीराज श्री कृष्ण की जन्म भूमि वृंदावन आए तो, स्वामी विट्ठलनाथ जी ने से प्रभावित होकर उन्हें अपने सत्संग का भक्त बना लिया; और ररसखान ने गोस्वामी विट्ठलनाथ जी से वल्लभ सम्प्रदाय के अन्तर्गत पुष्टिमार्ग शिक्षा ली थी। वैष्णव धर्म में शिक्षा लेने पर इनका लोकिक प्रेम अलौकिक प्रेम में बदल गया और रसखान श्रीकष्ण के अनन्य भक्त बन गए।

Q.8- रसखान किस काल के कवि हैं ?

रसखान रीतिकाल के कवि हैं।

Q.9- रसखान के काव्य का मुख्य छंद क्या है ?

कृष्ण भक्त कवि रसखान द्वारा मुख्य रूप से दोहा, कवित्त और सवैया तीनों छन्दों का प्रयोग किया गया है।

आज आपने क्या सीखा ):-

सबसे पहले यह लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। उपयुक्त लेख से हमने आपको महान कवि रसखान के साहित्यिक, पारिवारिक जीवन परिचय एवं रसखान की प्रमुख रचनाओं से अवगत कराया।

उम्मीद करते हैं कवि रसखान के जीवन परिचय (Raskhan Biography in Hindi) पर आधारित यह लेख आपको पसंद आया होगा। यदि आपको पसंद आया है तो नीचे हमें COMMENT में जरूर बताएं और इसे अपने सहपाठियों एवं मित्रों के साथ SHARE करें। ताकि और भी लोगो को इस महान कवि के जीवन और कृतियों से अवगत हो सके।

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