भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स जिन्होंने भारत का नाम संपूर्ण विश्व में गौरवान्वित किया है। सुनीता विलियम पर हिंदी निबंध कई बार परीक्षा में पूछा जाता है। यहां हमने सुनीता विलियम्स पर कुछ निबंध प्रस्तुत किए:
सुनीता विलियम्स पर छोटे एवं बड़े निबंध (Short and Long Essay on Sunita Williams in Hindi)
प्रथम निबंध (600 शब्द)
प्रस्तावना :
भारतीय मूल की महिलाएं आज विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। अब उनके लिए अन्तरिक्ष भी दुर्गम नहीं रह गया है। भारत में जन्मी कल्पना चावला के बाद भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने सफलतापूर्वक अन्तरिक्ष यात्रा पूर्ण करके भारत को गौरवान्वित किया है।
सुनीता विलियम्स : एक अंतरिक्ष यात्री
सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के ओहियो प्रान्त में हुआ था । उनके पिता का नाम दीपक पाण्ड्या और माता का नाम बोनी पाण्ड्या है; उनके पिता मूल रूप से भारत के गुजरात के रहने वाले हैं । गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित झुलासन उनका पैतृक गाँव है।
जन्म से ही अमेरिकी नागरिक सुनीता विलियम्स का भारत से इतना ही सम्बन्ध है । वर्ष 1983 में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद सनीता ने वर्ष 1987 में यूनाइटेड स्टेट्स नेवल एकेडमी से भौतिक विज्ञान की डिग्री अर्जित की। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1987 में ही अमेरिकी नौसेना में कार्यभार सँभाला।
विलियम्स ने वर्ष 1995 में फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट आँफ टेक्नोलाजी से मास्टर डिग्री प्राप्त की। नौसेना में रहते हुए सुनीता विलियम्स ने विभिन्न प्रकार के हेलीकाँप्टर और एयरक्राफ्ट उङाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया । गौरतलब है कि नासा द्वारा अन्तरिक्ष यात्री के रूप में चयनित किए जाने से पूर्व उन्हें 30 से अधिक एयरक्राफ्ट उङाने एवं 3,000 से भी अधिक फ्लाइंग घण्टों का अनुभव था ।
बेसिक ड्रायविंग आँफिसर के रूप में अमेरिकी नौसेना के साथ अपना करियर शुरू करने वाली सुनीता विलियम्स का नासा के लिए चयन वर्ष में हुआ । अगस्त 1998 में जाँनसन स्पेस सेण्टर में उनका अन्तरिक्ष यात्री बनने का प्रशिक्षण आरम्भ हुआ । उनकी पहली अन्तरिक्ष उड़ान 9 दिसम्बर 2006 को डिस्कवरी यान के साथ शुरू हुई थी।
यह यान 11 दिसंबर 2006 को उन्हें लेकर अन्तर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर पहुँचा । दिन अन्तरिक्ष में रहनें के बाद 22 जून 2007 को धरती पर सुनीता की वापसी हुई । इस दौरान उन्होंने अपने 14 अन्तरिक्ष साथियों के साथ नासा द्वारा उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्पेस सेण्टर में 4 महीनें व्यतीत किए और अनेक अनुसन्धान किए।
इस बार उनकी वापसी नवम्बर 2012 को हुई । सौभाग्य से उनकी दोनों ही उन्तरिक्ष यात्राएँ सफल रहीं अपने अन्तरिक्ष अभियानों के दौरान सुनीता ने अन्तरिक्ष में चहलकदमी भी का । उनके नाम अन्तरिक्ष में 50 घण्टे 40 मिनट चहलकदमी करने का रिकॉर्ड है और स्पेस में चलने वाली वह पाँचवीं सबसे अधिक अनुभवी यात्री हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन में 4 मील दौड़ने 18 मील स्टेशनरी बाइकिंग करने तथा अन्तरिक्ष के शून्य गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में आधा मील तैरने का कीर्तिमान भी सुनीता विलियम्स के नाम है । विलियम्स ने 16 अप्रैल 2007 को अन्तरिक्ष से ही बोस्टन मैराथन में भाग लिया था; जिसे उन्होंने 4 घण्टे 24 मिनट में पूरा किया। इसके अतिरिक्त सुनीता ने अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के बिजली के तारों को ठीक किया तथा सौर पैनल को भी सक्रिय किया।
उन्होंने अन्तरिक्ष में एक नए विद्युत संयन्त्र को स्थापित भी किया और अन्तरिक्ष में रहते हुए रोबोट आर्म का संचालन किया । यद्यपि ये सभी कार्य तकनीक रूप से बहुत जटिल थे; तथापि सुनीता विलियम्स ने अपने सभी कार्यों को कुशलतापूर्वक किया। भले ही सुनीता विलियम्स भारतीय नागरिक न हो, परन्तु भारत के साथ उनका खाससम्बन्ध है।
उपसंहार :
सुनीता विलियम्स ने अन्तरिक्ष से दिए गए अपने पहले सन्देश में भारतवासियों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि मैं आधी भारतीय हूँ । मुझे विश्वास है कि भारत के लोग मुझे अन्तरिक्ष में देखकर काफी प्रसन्न होंगे। मैं चाहती हूँ कि भारत के लोग भी आगे बढ़ने के ख्वाब देखें ।
निःसन्देह अन्तरिक्ष में 322 दिन बिताने का रिकॉर्ड बनाने वाली सुनीता विलियम्स के ये शब्द अत्यन्त प्रेरणाप्रद हैं । कल्पना चावला के बाद अन्तरिक्ष यात्री के रूप में नाम कमाने वाली सुनीता विलियम्स पर पूरे भारत को गर्व है और उम्मीद करते हैं कि आने वाली पीढ़ियाँ उनसे प्रेरणा लेते हुए अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन करेंगी।
आज आपने क्या सीखा ):-
यहां हमने आपको सुनीता विलियम्स पर छोटे तथा बड़े निबंध उपलब्ध कराए हैं। उम्मीद करते हैं आप यह सीख गए होंगे कि इस विषय पर निबंध कैसे लिखना है। यदि हमारे द्वारा लिखे गए यह निबंध आपके लिए उपयोगी साबित हुए हैं तो अपने मित्रों के साथ SHARE करना ना भूले।