आज यदि हम ऐसी जगह पर रहते हैं, जहां पानी की कोई समस्या नहीं है, तो निश्चित रूप से हम बहुत खुशनसीब है, क्योंकि हमारे देश में, ऐसी कई जगहें हैं जहां पूरे साल लगभग सूखे की स्थिति रहती है। लोग, पानी के लिए, कोसों दूर तक चलकर जाते हैं तब जाकर उन्हें पानी मिलता है बह भी शुद्ध नहीं होता है।
हमें उन लोगों की तकलीफ़ समझनी होगी, हमें यदि आसानी पानी मिल रहा है, तो हमारा यह प्रयास होना चाहिए, कि हम उस पानी का इस्तेमाल, सोच समझकर और आवश्यकतानुसार ही करें। बिना कारण पानी का अपव्यय करना आज के समय की हमारी सबसे बड़ी भूल होगी, जिसके दुष्परिणाम निकट भविष्य में हमें देखने मिलेंगे। यहां हमने जल के संरक्षण अर्थात जल बचाओ विषय पर कुछ निबंध प्रस्तुत किए हैं:
जल संरक्षण पर छोटे एवं बड़े निबंध (Short and Long Essay on Save Water in Hindi)
प्रथम निबंध (300 शब्द)
प्रस्तावना :
जल हमारे जीवन की संजीवनी बूटी है। जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी नामुमकिन है। जल वह नैसर्गिक संसाधन हैं जो सभी प्राणियों, पेड़ पौधे और वनस्पतियों को जीवनदान देता है। पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में जल पाया जाता है, लेकिन उस जल में से, मनुष्य के पीने और उपयोग करने योग्य जल की मात्रा बहुत कम है।
बढ़ती जनसंख्या और जल के दुरुपयोग के कारण, वह उपयोग करने योग्य जल भी लगातार कम होता जा रहा है। इसलिए जल का संरक्षण करना यानी कि जल को बचाना आज के समय की एक बहुत बड़ी आवश्यकता है।
जल संरक्षण के तरीके
जल का महत्व समझते हुए, उसका संरक्षण करना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी और कर्तव्य है। ऐसे कई साधारण उपाय हैं, जिन्हें हम अपने रोजमर्रा के जीवन में अपना कर, पानी को बचा सकते हैं।
नल को बेवजह खुला नहीं छोड़ना चाहिए। नित्य कर्म के लिए, ब्रश करने, नहाने, कपड़े और बर्तन धोने, पोंछा लगाने इत्यादि के लिए लगने वाले पानी की मात्रा में कटौती या बचत करके हम बहुत सार पानी बचा सकते हैं। इसके अलावा, फल और सब्जियां धोने के लिए, नल से सीधा पानी लेने के बजाय, बर्तन में पानी लेकर उसका उपयोग करना चाहिए। गाड़ी वगैरह धोने के लिए भी, पाइप के बजाय बाल्टी में पानी लेकर उसका उपयोग करें।
बारीश के दिनों में, जहां भी अधिक बारिश होती है, उन जगहों पर जल को संरक्षित करने के विभिन्न तरीकों को अपनाकर, पानी को बचाया जा सकता है। यदि इन छोटी छोटी बातों का ध्यान हर परिवार में रखा जाएगा, तो निश्चित रूप से हम बहुत सारा पानी बचा सकते हैं।
निष्कर्ष :
जल की कमी से, आज भारत ही नहीं बल्कि दुनियां के कई देशों में, गंभीर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यदि इसी गति से, लगातार जल का प्रमाण कम होता गया, तो वह दिन दूर नहीं है, जब हम पानी पीने के लिए भी तरस जाएंगेे। इसलिए जल का संरक्षण और संवर्धन करें और जीवन को बचाएं।
द्वितीय निबंध (400 शब्द)
प्रस्तावना :
आज हमारी पृथ्वी पर, पीने योग्य पानी की मात्रा, लगातार कम होती जा रही है और इसीलिए हमें पानी की एक एक बूंद बचाने की बेहद जरूरत है। यह बात हम रोज कहीं ना कहीं सुनते और पढ़ते तो हैं, लेकिन समझते नहीं है। हम में से कई लोगों को पानी का महत्व अभी तक समझ में नहीं आया है, जबकि यदि, पानी इसी गति से कम होता गया और यही स्थिति बनी रही तो, वह दिन बिल्कुल भी दूर नहीं है, जब मनुष्य पानी की एक एक बूंद के लिए भी तरस जाएगा।
इन तरीकों से बचा सकते हैं जल
जल का संरक्षण का सबसे अधिक योग्य तरीका, जल का अपव्यय रोकना होता है। हमें अपने रोजमर्रा के कामों में, जल की आवश्यकता होती है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है लेकिन, हमें आज की परिस्थिति की गंभीरता को समझते हुए, उन कार्यों में लगने वाले पानी की मात्रा में कटौती करनी होगी।
कुछ छोटी छोटी बातों पर ध्यान देना होगा, जैसे- कहीं भी बेवजह नल खुला होने पर उसे तुरंत बंद करें, नहाने के लिए, शॉवर के बजाय बाल्टी में पानी भरकर नहाएं, बर्तन, कपड़े आदि धोने के लिए कम से कम या सीमित पानी का इस्तेमाल करें इन जैसे कई अन्य काम हो सकते हैं, जिससे हम पानी की बचत कर सकते हैं।
जल संरक्षण के लिए हम बरसात के पानी का संवर्धन कर सकते हैं। आज ऐसे कई तरीके हैं, जिनसे हम बारीश के पानी को संग्रहित कर सकते हैं। चूंकि, पृथ्वी पर समुद्री खारे पानी या बर्फीले की अधिकता है, जो मनुष्य के उपयोग के लायक नहीं होता है, इसलिए नदियों, तालाबों और जलाशयों में उपलब्ध पानी को हमें बचाने और प्रदुषण मुक्त रखने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि यही हमारे लिए जल के मुख्य स्त्रोत है।
निष्कर्ष :
पानी का महत्व और को समझते हुए, इसके संरक्षण के लिए आगे आएं और मानवता के प्रति अपना कर्तव्य निभाएं। खुद भी जल का संरक्षण करें और दूसरों को भी प्रेरित करें।
तृतीय निबंध (500 शब्द)
प्रस्तावना :
जल की एक एक बूंद कितनी अमुल्य और महत्वपूर्ण होती है, इस बात को हमारे पूर्वज, उस समय से जानते और समझते थे, जब इस पृथ्वी पर भरपूर और पर्याप्त मात्रा में जल पाया जाता था। तब भी उन्होंने हमेशा जल का संरक्षण और संवर्धन करने पर ध्यान दिया था और उसके लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग भी किया था।
भविष्य में पानी की क्या स्थिति होगी, इसका शायद उन्हें अंदाज़ा था, इसलिए लोगों को पानी का मूल्य समझाने के लिए, उन्होंने इसे देवता की उपाधि भी दी थी ताकि लोग पानी को भी ईश्वर की तरह समझकर इसका सम्मान करें।
आज समय के साथ साथ जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होती गई और मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। बड़ी संख्या में पेड़ पौधे काट दिए गए, जिसका दुष्प्रभाव वर्षा की स्थिति पर पड़ा और लोगों की पानी से संबंधित समस्याएं बढ़ने लगी।
आज भारत ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व ही, पानी की भारी कमी से जूझ रहा है। इसके लिए, जल का संरक्षण और संवर्धन करने के लिए कई अहम कदम उठाने की बहुत जरूरत है; लेकिन मनुष्य आज भी इस समस्या के प्रति गंभीरता से विचार नहीं कर रहा है, जिससे आने वाले समय में, पूरे विश्व को ही इसके दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।
जल संरक्षण के विभिन्न उपाय
जल को संरक्षित करना, बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है। मनुष्य यदि चाहें तो, प्रतिदिन बहुत सारा पानी आसानी से बचा सकता है, जिसे वह अनावश्यक रूप से इस्तेमाल करता है या बेवजह बर्बाद करता है। रोजमर्रा के कामों में पानी की जरूरत और उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता है लेकिन इन कामों में पानी को समझदारी से इस्तेमाल करने पर जरूर ध्यान दिया जा सकता है।
सामान्य जीवन में पानी को कैसे संरक्षित किया जा सकता है, इस बात को एक बच्चा भी जानता है। लेकिन हमारी गलत आदतों की वजह से, हम इस बात को समझते हुए भी नजरअंदाज कर रहे हैं। दैनिक कार्यों में पानी की कटौती आसानी से की जा सकती है। इसके अलावा अपने वाहनों को धोने के लिए, आंगन में छिड़काव करने के लिए, और ऐसे ही कई कामों में भी खर्च होने वाले पानी की मात्रा पर भी आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है।
जिन पौधों को पानी की आवश्यकता कम होती है, अपने घर में ऐसे पौधे लगाना चाहिए, इन पौधों को पानी तो कम लगता ही है और यह मिट्टी में पानी को संरक्षित भी करके रखते हैं। पानी के संरक्षण के साथ साथ इसके संवर्धन पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
इसके साथ ही पानी के प्रदुषण को रोकने के उपायों पर अमल करना होगा। जल के जितने भी प्राकृतिक स्रोत जैसे नदी, झरने और समुद्र मौजूद हैं उन सभी में आज मानव निर्मित कचरा और प्रदूषक बाहे जा रहे हैं; जो कि हजारों लीटर पानी और वहां के वातावरण को प्रदूषित करते हैं; इसे जल्द से जल्द रोकने की आवश्यकता है।
भूमिगत जल, प्रदुषित होता जा रहा है और अधिक खपत, और वनों की कटाई उसका स्तर भी लगातार निचे गिर रहा है उस पर ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है। पेड़ पौधों की कटाई करने के बजाय, अधिक से अधिक संख्या में पेड़ों को उगाने पर जोर देना होगा। वर्षा ऋतु में, वर्षा का पानी, यूं ही बह जाता है। इसलिए जिन क्षेत्रों में अधिक बारिश होती है, वहां पर अधिक से अधिक संख्या में तालाब, कुएं, नहरें, झीलें आदि बनाकर, वर्षा के पानी को संरक्षित कर सकते हैं।
निष्कर्ष :
आज सरकार, लगातार विभिन्न कार्यक्रमों और उपक्रमों के द्वारा, सभी को पानी का महत्व और मूल्य समझने और पानी की बचत करने का संदेश दे रही है। लेकिन क्या हम खुद ही, समाज और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ सकते हैं ? पानी का दुरुपयोग ना करें और पानी की कमी के कारण, आगे आने वाले समय की भयावहता से बचें।
आज आपने क्या सीखा ):-
यहां हमने आपको जल संरक्षण पर छोटे तथा बड़े निबंध उपलब्ध कराए हैं। उम्मीद करते हैं आप यह सीख गए होंगे कि इस विषय पर निबंध कैसे लिखना है। यदि हमारे द्वारा लिखे गए यह निबंध आपके लिए उपयोगी साबित हुए हैं तो अपने मित्रों के साथ SHARE करना ना भूले।