रक्षाबंधन पर निबंध

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त्यौहारों से लोगों में जीवन के प्रति सकारात्मकता और उत्साह बढ़ता है। हमारे सभी त्यौहार, रिश्तों को समझने और करीब लाने का काम करते हैं। ऐसा ही एक त्योहार है, रक्षाबंधन। रक्षा बंधन का त्यौहार, भाई बहन के निस्वार्थ और अटूट रिश्ते के प्रेम का प्रतीक होता है। यहां हमने रक्षाबंधन पर कुछ निबंध प्रस्तुत किए हैं:

रक्षाबंधन पर बड़े एवं छोटे निबंध (Long and Short Essay on Raksha Bandhan in Hindi)

रक्षाबंधन पर निबंध - Raksha Bandhan Essay in Hindi

प्रथम निबंध (250 शब्द)

प्रस्तावना :

रक्षाबंधन भाई बहनों का एक पवित्र त्यौहार है जिसमें भाई-बहन के बीच प्यार और स्नेह को दर्शाया गया है। बहन के द्वारा बांधी गई राखी एक साधारण से सूत के धागे से लेकर महंगी वस्तु जैसे सोने चांदी की भी बनी होती है। वर्तमान समय में रक्षाबंधन सिर्फ भाई बहनों के त्यौहार तक सीमित नहीं है आजकल इसे पर्यावरण की रक्षा और अपने हितों की रक्षा के लिए भी मनाया जाने लगा है।

रक्षाबंधन कब और कैसे मनाया जाता है?

प्रत्येक वर्ष पूरे भारतवर्ष में रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा अर्थात जुलाई अगस्त में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। श्रावण मास में मनाए जाने के कारण इसे श्रावणी या सलूनी भी कहते हैं।

इस दिन बहन अपने भाई की दाहिनी कलाई पर पवित्र धागा बांधती है जिसे राखी कहा जाता है। बहन अपने भाई के के लिए अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्रार्थना करती है। भाई अपनी बहनो की हर हाल में सुरक्षा करने का संकल्प लेते हैँ। राखी बांधने के बाद भाई के द्वारा बहनों को कोई उपहार भी दिया जाता है।

उपसंहार :

सभी त्योहारों से बढ़कर रक्षाबंधन का अपना एक विशेष महत्व है, यह पर्व भाई और बहन के स्नेह और प्यार को दर्शाता है वर्तमान समय में अधिक व्यस्तता होने के कारण लोगों का मिलना जुलना थोड़ा मुश्किल हो गया है लेकिन आज भी इस त्यौहार का उतना ही महत्व है। डाक-तार या फिर इंटरनेट के माध्यम से भी आज भी कई लोग विदेशों में रहने वाले अपने भाइयों बहनों के साथ यह त्यौहार मनाते हैं।


द्वितीय निबंध (300 शब्द)

प्रस्तावना :

पुराणों के अनुसार श्री कृष्ण और द्रौपदी की कथा प्रसिद्ध है श्री कृष्ण के द्वारा शिशुपाल का वध किए जाने के दौरान उनकी तर्जनी उंगली में चोट आने पर द्रोपदी ने अपनी साड़ी के कपड़े का इस्तेमाल करते हुए उनकी उंगली पर पट्टी बांधी थी; श्री कृष्ण द्वारा द्रौपदी को संकट के समय में सहायता करने का भी वचन दिया गया था । उसी समय से एक दूसरे की संकट के समय में सहायता करने की भावना और सहयोग की यह परंपरा आरंभ हुई थी। भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन भी इन्हीं भावनाओं पर आधारित है।

रक्षाबंधन मनाने की प्रक्रिया

श्रावण मास की पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर, नहा धोकर भगवान की पूजा की जाती हैं। भाई को बांधी जाने वाली राखी की भी पूजा की जाती है। फिर मुहुर्त के हिसाब से रक्षाबंधन की तैयारी की जाती है। आरती का थाल सजाया जाता है, जिसमें कुमकुम, अक्षता यानी चावल, रौली, घी का दीपक, राखी और मिठाई रखी जाती है।

मुहूर्त पर, बहने अपने भाईयों को पटिए पर बैठाती है। सबसे पहले भाईयों के माथे पर कुमकुम का तिलक, लगाकर उस पर अक्षता और रौली लगाती है। उसके बाद अपने भाई की आरती उतारती है और उसके हाथ पर रक्षासूत्र यानी कि राखी बांधती है।

राखी बांधने के बाद मिठाई से अपने भाई का मुंह मीठा करती है और भाई से रक्षा का वचन मांगती है। साथ ही ईश्वर से अपने भाई की लंबी आयु और जीवन में सुख समृद्धि की कामना करती है। बहन से रखी बंधवाने के बाद, भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देकर यथासंभव उपहार भी देता है।

उपसंहार :

हमारा भारत देश त्यौहारों का देश है, ऐसा कहना बिल्कुल भी अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि यहां साल के बस कुछ दिन छोड़ दें तो लगभग हर महिने ही कोई ना कोई, छोटा या बड़ा त्यौहार और उत्सव जरुर मनाया जाता है। ये सभी उत्सव और त्यौहार हमारे जीवन में ढ़ेर सारी खुशियां लेकर आते हैं। रक्षाबंधन भी भाई-बहन के प्रति प्रेम और स्नेह को बढ़ावा देने वाला त्यौहार है; इससे समाज में स्त्री एवं पुरुष दोनों का एक दूसरे के प्रति सम्मान बढ़ता है।


तृतीय निबंध (500 शब्द)

प्रस्तावना :

हर साल, श्रावण मास की पूर्णिमा को यह त्यौहार मनाया जाता है। यह बहुत ही मंगलमय त्यौहार होता है, जिसका आधार स्तम्भ अटूट प्यार होता है और प्यार के साथ साथ, मान सम्मान भी जुड़ा होता है। कच्चे रेशमी धागों से बंधा, पक्का विश्वास होता है। रक्षा का वचन होता है और स्नेह का उपहार होता है। देशभर में यह त्यौहार बड़े ही आनंद और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे राखी और नारळी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भाई बहनों का आनंद और उत्साह देखते ही बनता है।

रक्षाबंधन का इतिहास

हमारे हर त्यौहार के साथ कोई कहानी जुड़ी हुई है, उसी तरह रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने के पीछे भी एक पौराणिक कहानी सुनाई जाती है। रक्षाबंधन से संबंधित कई प्रचलित कहानियां हैं जिनका उल्लेख हमारे धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।

इस कहानी के अनुसार, बहुत पहले दानव और देवताओं में जब युद्ध हो रहा था, तब दानवों की पाश्वी शक्ति के आगे, देवताओं की शक्ति क्षीण हो गई थी। ऐसे में, दानवों के राजा वृत्रासुर ने, देवताओं के राजा इन्द्र को युद्ध का आव्हान किया। जब इंद्र देव अपने शस्त्र, वज्र को लेकर वृत्रासुर से युद्ध करने निकल रहे थे, तब उनकी पत्नी शुचि ने, उनकी विजय की कामना करते हुए उनके हाथ पर एक धागा बांधा, जो उन्हें भगवान विष्णु ने दिया था।

रानी शुचि की श्रद्धा और धागे के प्रभाव से युद्ध में इंद्र देव की विजय हुई। उन्होंने अपना खोया हुआ राजपाट फिर से पा लिया। ऐसा माना जाता है कि, तभी से हाथ पर धागा बांधने की प्रथा का प्रचलन शुरू हुआ, जिसे राखी या रक्षासूत्र कहा गया।

एक और प्रचलित ऐतिहासिक कथा, रानी कर्णावती और मुगल सम्राट हुमायूं के संदर्भ में भी कही जाती है। रानी कर्णावती, चित्तोड की रानी थी, और दुर्भाग्य से वह विधवा थी। एक बार गुजरात के सुल्तान से अपनी तथा अपनी प्रजा की। सुरक्षा के लिए उन्होंने हुमायूं को राखी भेजकर संरक्षण करने का निवेदन किया। हुमायूं ने भी राखी का फर्ज निभाते हुए, रानी कर्णावती और उनके राज्य की रक्षा की थी।

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन का महत्व, उसके नाम में ही छिपा हुआ है। इस दिन जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है तो वह मात्र एक रेशमी धागा नहीं होता है, बल्कि वह एक विश्वास होता है कि अब वह सुरक्षित है, क्योंकि उसकी रक्षा के लिए उसका भाई है।

लड़कियां अपने भाई से जीवन भर संरक्षण देने का वचन मांगती है और भाई भी खुशी खुशी, अपनी बहन की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी स्वीकार करता है।  कई जगहों पर यह रक्षासूत्र लड़कियां, अपनी भाभी और पिता के साथ साथ कृष्ण भगवान को भी बांधती है।

रक्षा बंधन पर सरकारी व्यवस्था

रक्षाबंधन के दिन पूरे भारत में सभी महिलाओं के लिए सरकारी परिवहन में मुफ्त यात्रा दी जाती है। ताकि सभी बहनें अपने भाइयों के घर राखी बांधने जा सके।

जिन बहनों का भाई के पास जाना संभव नहीं होता तो वह डाक या तार के माध्यम से अपने भाई को लिफाफे में राखी भेज सकती हैं जिसके लिए डाक-तार विभाग द्वारा वाटर प्रूफ लिफाफे का प्रबंध भी किया गया जिसमें राखी सुरक्षित रहती है।

सावन के महीने में यह त्यौहार मनाया जाने के कारण कागज़ के लिफाफे में राखी भेजने से उसके खराब होने की संभावना रहती है। इसलिए सरकार द्वारा वाटर प्रूफ लिफाफे उपलब्ध कराए गए।

उपसंहार:

रक्षाबंधन, एक बहुत ही अर्थपूर्ण त्यौहार है। यदि इसमें निहित अर्थ को हम गहराई से समझें तो, इस त्यौहार का महत्व कई गुना बढ़ जाएगा। हर युग में महिलाओं को मान सम्मान और सुरक्षा की आवश्यकता होती है। हर भाई को अपनी बहन की सुरक्षा के साथ साथ हर उस महिला की सुरक्षा और सम्मान का भी ध्यान रखना चाहिए, जो उससे इसकी अपेक्षा रखती है। यदि हर पुरुष, दुसरी महिलाओं को सम्मान और आदर की दृष्टि से देखेगा तो अपनी बहनों के साथ, दुसरी महिलाओं की दृष्टि में भी बहुत उपर उठ जाएगा। राखी के धागों का सही मायने में अर्थ यही है।

आज आपने क्या सीखा ):-

यहां हमने आपको रक्षाबंधन पर छोटे तथा बड़े निबंध उपलब्ध कराए हैं। उम्मीद करते हैं आप यह सीख गए होंगे कि इस विषय पर निबंध कैसे लिखना है। यदि हमारे द्वारा लिखे गए यह निबंध आपके लिए उपयोगी साबित हुए हैं तो अपने मित्रों के साथ SHARE करना ना भूले।

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