यह तो हम सभी जानते हैं कि स्त्री एवं पुरुष दोनों मिलकर समाज का निर्माण करते हैं। इनके लिंगानुपात में संतुलन बना रहे तभी हमारा भविष्य सुरक्षित है। यदि कोई एक लिंग संख्या में कम होता जाए तो यह चिंतनीय विषय है। भारतीय लिंगानुपात में महिलाओं की संख्या बढ़ाने एवं उन्हें शिक्षित बनाने के लिए हम भारत सरकार द्वारा चलाए जाने वाले अभियान “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” पर कुछ निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं:
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi)
निबंध – 1 (300 शब्द)
प्रस्तावना :
भारत को स्वतंत्र हुए, आठ दशक होने को आए है, लेकिन आज भी भारत के कई हिस्सों में, बालिकाओं और महिलाओं की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन या सुधार नहीं आया है। हमारे देश में, प्रति पुरुष, महिलाओं की संख्या में बहुत ज्यादा अंतर दिखाई देता है और लिंगानुपात में इतना ज्यादा अंतर, बहुत ही चिंता का विषय है।
कई जगहों पर आज भी, बेटा होने पर खुशियां मनाई जाती है और बेटियां पैदा होने पर दुख जताया जाता है। जबकि बेटा और बेटी दोनों को ही समान रूप से देखा जाना चाहिए। भारत सरकार भी समय समय पर, बालिकाओं और महिलाओं की भलाई के लिए कई ठोस कदम उठाती रहती है; और उनकी सुरक्षा और उत्थान के लिए, नई नई परियोजनाएं लाती रहती है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान भी, इसी के तहत चलाई जाने वाली एक महत्वाकांक्षी योजना है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य
“बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” अभियान, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका शुभारंभ 22 जनवरी 2015 को, पानीपत, हरियाणा में हुआ था।
इस परियोजना का उद्देश्य, समाज में बालिकाओं और महिलाओं को समान अवसर और सुविधाएं प्रदान करना, उनकी सुविधाओं का ध्यान रखना और उनके लिए कल्याणकारी कार्य करना है और मुख्य रूप से, भ्रूण हत्या और बालिका हत्या के जैसे घृणित कार्यों को रोकना है।
आज इस तरह की योजनाओं और खासतौर पर प्रधानमंत्री द्वारा चलाई गई बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ परियोजना के कारण, बेटियों के प्रति समाज का दृष्टिकोण बदला है। इस योजना के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री ने, लोगों से बेटियों के प्रति सम्मान व्यक्त करने और उनका स्वागत करने की अपील की थी, जिसका सकारात्मक परिणाम हुआ था। यह योजना, भारत सरकार के तीन प्रमुख मंत्रालयों द्वारा संचालित हो रही है।
निष्कर्ष :
आज बेटियाें के लिए समाज का नजरिया बदलने की बहुत जरूरत है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत, ना केवल बेटियों को बचाया जाएगा बल्कि उनको पढ़ लिख कर आगे बढ़ने का अवसर भी मिलेगा।
निबंध – 2 (500 शब्द)
प्रस्तावना :
भारत को आज विश्व के प्रगतिशील देशों की श्रेणी में गिना जाता है। भारत की इस तरक्की में, देश की महिलाओं ने भी अपना पूरा योगदान दिया है; और आज किसी भी क्षेत्र में वे पुरुषों से पीछे नहीं है। लेकिन आज भी हमारे देश के कई भाग ऐसे हैं, जहां अभी भी बेटे और बेटियों में भेदभाव किया जाता है और लड़कियों को आगे बढ़ने और पढ़ने के उतने अवसर नहीं दिए जाते हैं, जितने कि लड़कों को दिए जाते हैं।
लड़कों को वंश का दीपक मानकर, लड़कों के मुकाबले, लड़कियों को आज भी दोयम दर्जे का स्थान दिया जाता हैं। और उन्हें बेसिक सुविधाओं से तक वंचित रखा जाता हैं।
कई जगहों पर तो इससे भी बुरे हालात हैं कि, लड़कियों को पैदा होते ही या पैदा होने के पहले, गर्भ में ही मार दिया जाता हैं। जिससे बालिका जन्म दर लगातार कम होती जा रही है; जो कि चिंता का विषय है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत
महिलाएं, किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितने कि पुरुष होते हैं। इस बात का महत्व समझते हुए, सरकार बालिकाओं और महिलाओं के उत्थान के लिए कई योजनाएं बनाती रहती हैं।
इसी कड़ी में, “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना” भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसकी शुरुआत, 22 जनवरी, 2015 को, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने, हरियाणा के पानीपत से की थी। इस योजना का शुभारंभ करते समय, प्रधानमंत्री जी ने, बालिका के जन्म को उत्सव की तरह मनाने का अनुरोध करते हुए, बेटियाें पर भी गर्व करने की बात कही थी।
इस योजना के कारण, बालिकाओं की मृत्यु दर में कमी आएगी और महिलाओं का सशक्तिकरण भी होगा। इस योजना को, महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार के इन तीन मंत्रालयों के द्वारा संचालित किया जा रहा है।
निष्कर्ष :
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान, सरकार द्वारा शुरु गया, एक उत्कृष्ट कार्य है। सरकार अपनी ओर से, बालिकाओं और महिलाओं के लिए बहुत कार्य कर रही है; लेकिन एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमें भी सरकार का इस कार्य में सहयोग करते हुए, समाज में जागरूकता लाने के लिए अपना सहयोग देना चाहिए।
लड़कियां भी लड़कों की तरह अपने परिवार का नाम रौशन कर सकती हैं इसलिए, लड़कियों को भी लड़कों की तरह, शिक्षा, सुविधाएं और अवसर देने चाहिए, ताकि वे भी आगे बढ़ सकें।
निबंध – 3 (800 शब्द)
प्रस्तावना:
भारत एक धार्मिक प्रवृत्ति का देश है, लेकिन फिर भी यह हमारी विडंबना ही है कि, जिस देश में कभी स्त्रियों को देवी की तरह पूजा जाता था, आज उसी देश में स्त्रियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए, सरकार को विभिन्न योजनाओं को लाना पड़ता है।
प्राचीन वैदिक काल में महिलाओं और पुरुषों को समान रूप से देखा जाता था, लेकिन लगातार होने वाले, बाहरी आक्रमणों और गुलामी के कारण, स्त्रियों की परिस्थिति खराब होने लगी। जिसका असर आज भी देश के कई भागों में देखा जाता है। आज भी इन क्षेत्रों में बालिकाओं को या तो जन्म लेने ही नहीं दिया जाता हैं, या फिर जन्म लेते ही मार दिया जाता हैं।
देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि बड़े बड़े शहरों में भी, महिलाओं की खराब स्थिति देखी जा सकती है। कभी सुविधाओं की कमी, रुढ़िवादी विचारधारा, तो कभी अवसरों की कमी, किसी ना किसी कारण से महिलाओं को आगे बढ़ने से रोक दिया जाता हैं। जबकि यदि महिलाओं को आगे बढ़ने और पढ़ने का अवसर मिले, तो वह अपने परिवार को भी आगे बढ़ने में मदद कर सकती हैं; और पुरुषों के कंधे से कन्धा मिलाकर अपने परिवार, समाज और देश की प्रगति में योगदान दे सकती है।
लेकिन, आज स्त्रियों और पुरुषों के लिंगानुपात में बहुत अधिक अंतर देखा जा रहा है जो चिंताजनक है। बालिकाओं और महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक परिस्थिति में सुधार लाने के लिए, सरकार कई योजनाएं लाती रहती है।
इसी कड़ी में, भारत सरकार के तीन प्रमुख मंत्रालयों, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय ने, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” अभियान का शुभारंभ किया था। 22 जनवरी, 2015 को, हरियाणा के पानीपत में इस परियोजना को शुरू किया गया था और देश के ऐसे सौ ज़िलों में लागू किया गया, जहां लिंगानुपात में सबसे अधिक अंतर था।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना क्या है ?
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत, बेटी के जन्म से लेकर दस साल की आयु तक, उसके अभिभावक, उसका बैंक अकाउंट, किसी भी राष्ट्रीय बैंक या पोस्ट ऑफिस में खुलवा सकते हैं और बेटी के चौदह वर्ष की उम्र तक, एक निश्चित धनराशि उस अकाउंट में भरनी होती है।
बेटी जब अठारह वर्ष की होती है, तब इस जमा राशि का आधा यानी कि पचास प्रतिशत निकाला जा सकता है, और बेटी के इक्कीस साल के होने पर, उसके विवाह के लिए पूरी रकम निकाल सकते हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का लक्ष्य
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य, देश में बालिकाओं और महिलाओं का कल्याण करना और उन्हें सुरक्षित जीवन प्रदान करना, उन्हें शिक्षित करना, शोषण और अत्याचार से बचाना, भ्रूण हत्या या दहेज हत्या जैसे घृणित कार्यों को रोककर महिलाओं के अस्तित्व को बचाना, समाज में महिलाएं की स्थिति मजबूत करना, उन्हें शिक्षित करके आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें आगे बढ़ने के समान अवसर प्रदान करना है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के अंतर्गत भारत सरकार ने लड़कियों को बचाने, उनकी सुरक्षा करने और उन्हें शिक्षा देने के लिए कम लिंग अनुपात वाले 100 जिलों में इस कुरीति को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है।
इस अभियान के तहत, निम्नलिखित कार्यक्रम आते हैं –
1.महिला एवं बाल विकास मंत्रालय : आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भावस्था के पंजीकरण के प्रति लोगों को जागरूक करना, अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं एवं संस्थानों को मान्यता और पुरस्कार देना।
2.स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय: गर्भधारण पूर्व और जन्म पूर्व जांच तकनीकी की निगरानी, अस्पताल में प्रसव में बढ़ोतरी, जन्म पंजीकरण करना, निगरानी समितियों का गठन करना।
3.मानव संसाधन विकास मंत्रालय: लड़कियों को सार्वजनिक पंजीकरण, विद्यालय में लड़कियों की आवश्यकता अनुसार सुविधाएं उपलब्ध कराना, शिक्षा के अधिकार के अधिनियम का सख्ती से पालन करना, लड़कियों के लिए शौचालय का निर्माण करना।
निष्कर्ष :
शिक्षा का, किसी भी व्यक्ति के जीवन में अत्यंत महत्व है। एक शिक्षित महिला, पूरे परिवार का कल्याण कर सकती हैं। महिलाओं को भी आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए, इसके लिए सरकार के साथ साथ हमें भी प्रयास करने होंगे। हम सरकार द्वारा संचालित इन योजनाओं की जानकारी, उन लोगों तक पहुंचा सकते हैं, जिन्हें इसका पता नहीं है। यही हमारा सहयोग होगा।
आज आपने क्या सीखा ):-
यहां हमने आपको बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ पर छोटे एवं बड़े निबंध उपलब्ध कराए हैं। उम्मीद करते हैं आप यह सीख गए होंगे कि इस विषय पर निबंध कैसे लिखना है। यदि हमारे द्वारा लिखे गए यह निबंध आपके लिए उपयोगी साबित हुए हैं तो अपने मित्रों के साथ SHARE करना ना भूले।