Lata Mangeshkar Biography in Hindi | कोकिला लता मंगेशकर जी की जीवनी

- Advertisement -

Lata Mangeshkar Biography in Hindi: विश्व की सर्वश्रेष्ठ आवाज वाली, भारत रत्न से सम्मानित, भारतीय कोकिला कहीं जाने वाली महान पार्श्व गायिका लता मंगेशकर जिंदगी मधुर आवाज सुनकर हर कोई प्रफुल्लित होता है. “लता मंगेशकर जी जीवनी” (Biography of Lata Mangeshkar in Hindi) इस लेख में उपलब्ध है यहां आप लता मंगेशकर जी के जीवन परिचय और भारतीय सिनेमा जगत में उनकी आवाज के जादू के विषय में को अच्छे से पढ़ सकते हैं.

Lata Mangeshkar Biography in Hindi | स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी की जीवनी
Lata Mangeshkar Biography in Hindi 

Lata Mangeshkar Biography in Hindi ( लता मंगेशकर जी की जीवनी)

‘भारत रत्न’  लता मंगेशकर वह शख्सियत हैं , जो अपने साठ साल से अधिक के गायन करियर में बीस से अधिक भाषाओं मे तीस हजार से अधिक गाने  गाकर एक जीवित किंवदन्ती बन चुकी हैं। उनके गीतों में माधुर्य एवं कर्णप्रियता का समावेश है, यही कारण है कि जब कई लोगो ने उनके द्वारा गाये गए गीतों मे से श्रेष्ठ गीतों की सूची बनानी चाही, तो उस सूची में ‘किसे रखें किसे छोङे की समस्या उत्पन्न हो गई । उनके द्वारा गाया गया हर गीत अपने आप में अनूठा है । वह भारत की सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सम्माननीय गायिका हैं ।

‘स्वर कोकिला’  के नाम से मशहूर लता मंगेश्कर का जन्म (Birth of Lata Mangeshkar) 28 सितम्बर , 1929 को मध्यप्रदेश के इन्दौर शहर में एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में हुआ । उनके पिता पण्डित दीनानाथ मंगेश्कर संगीत प्रिय एवं थियेटर से जुङे व्यक्ति थे, इसलिये उन्होंने अपनी बङी बेटी लता पाँच वर्ष की उम्र से ही संगीत की शिक्षा देनी शुरु की। संगीत की ओर अधिक रुझान के कारण लता की औपचारिक शिक्षा ठीक से नहीं हो सकी ।

जब वे 7 वर्ष की थी , तो अपने परिवार के साथ महाराष्ट्र आ गई । उन्होंने 5 वर्ष की उम्र से ही अपने पिता के साथ एक रंगमंच कलाकार के रुप में अभिनय करना शुरु कर दिया था । महाराष्ट्र आने के बाद उनके अभिनय को यह सफर जारी रहा। इसी बीच वर्ष 1942 में जब उनकी उम्र मात्र 13 वर्ष थी, उनके पिता की हृदय की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई और परिवार मे सबसे बङी होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने वर्ष 1942 से 1948 के बीच हिन्दी और मराठी की लगभग आठ फिल्मों  मे एक बाल कलाकार  के रुप में अभिनय किया ।

13 वर्ष की आयु में ही उन्होंने फिल्मों के लिये गाना शुरु कर दिया। उन्होंने अपना पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसाल ’(कितनी हँसोगे) के लिए गाया , किन्तु इस गाने को फिल्म से निकाल दिया गया । अभिनेत्री ककेरुप ने उनकी पहली फिल्म ‘पाहिली मंगलागौर’(1942) रही । इस अलौकिक पाश्र्वगायिका में गायन प्रतिभा की खोज गुलाम हैदर  ने की तथा वे लता को बॉम्बे टॉकीज  ले आये । उस्ताद बङे गुलाम खाँ ने जब लता को गाते हुए सुना तो उन्हें ‘तीन मिनट जादूगरनी ’ कहा।

लता जी ने जब गाना शुरु किये उस समय बालीबुड में नूरजहाँ, अमीरबाई, शमशाद बेगम और राजकुमारी  जैसी गायिकाओं की तूती बोलती थी और इनमें से लगभग शास्त्रीय संगीत मे महारत हासिल थी। ऐसे में इन सबके होते हुए लता के लिए पाश्वगायिका के रुप में अपना स्थान हासिल करना आसान काम नहीं था, किन्तु प्रकृति प्रदत्त मधुर आवाज एवं अपने नियमित अभ्यास के बल पर लता ने जल्द ही सफलता का स्वाद चखना शुरु कर दिया । वर्ष 1949 में खेमचन्द्र प्रकाश के संगीत निर्देशन में ‘महल’ फिल्म के लिए गाए गय़े उनके गीत आएगा “आने वाला आएगा’ ने धूम मचा दी और लोग उनकी सुरीली आवाज के दीवाने हो गए ।

Lata Mangeshkar Biography in Hindi
Lata Mangeshkar Biography in Hindi

इसी वर्ष रिलीज हुई फिल्म “अंदाज जीने के” लिए उन्होंने नौशाद के सगींत निर्देशन में गया था और “घायल” जिसके लिए उन्होंने शंकर-जयकिशन के सगींत निर्देशन में गया था. उनके गीतों ने भी उनकी प्रतिभा को विशेष पहचान है। इसके बाद एक पाश्वर्गायीका के रूप में वे सफलता के मार्ग पर धीरे-धीरे अग्रसर होने लगीं और कुछ ही समय में की एक स्थापित गायिका बन गईं। उनके द्धारा गाया गया गैर- फिल्मी देशभक्ति गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगो ‘ उनके सर्वधिक प्रसिद्ध लोकप्रिय गीतों में से एक है।

कहा जाता है कि एक बार किसी समारोह में जब तत्कालीन प्रधानमन्त्री ने इस गाने को सुना था , तो उनकी आँखो से पानी निकल पङे थे और उन्होंने उनकी प्रशंसा की थी। साठ दशक के अपने सर्वाधिक लम्बे गायन करियर में चालीस के दशक की मधुबाला , मीना कुमारी , बैजयन्ती बाला  जैसी नायिकाओं से लेकर बीसबी सदी के अन्तिम दशक की काजोल, माधुरी, करिश्मी कपूर जैसी नायिकाओ को भी अपनी आवाज दी । अपने करियर के दौरान उन्होंने मदन मोहन , नौशाद, शंकर जयकिशन, खय्याम, एसडी बर्मन, आरडी बर्मन कल्याणजी-आनन्दजी एवं लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जैसे प्रतिष्ठित संगीतकारों का साथ काम किया।

उन्होंने मोहम्मद रफी, मुकेश एवं किशोर कुमार जैसे महान गायकों के साथ भी अनेक युगल गीत गाए । 1974 में उन्होंने दुनिया में ही लन्दन के रॉयल एल्बर्ट में उनकी आवाज़ को कम्प्यूटर की मद्द से जाँचा गया तथा विश्व में सर्वश्रेष्ठ पाया गाया। लता जी इस हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं । वर्ष 1980 के बाद से संगीत में आई निपुणता को देखते हुए उन्होंने केवल बङे बैनर की फ़िल्मों के लिए ही गाना स्वीकार किया, इनमें से राजश्री प्रोडक्शन, आर के पिक्चर्स और यशराज फ़िल्मस प्रमुख थे। इसके बाद लता जी ने स्टेज शो पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया। संगीत जगत को उनकी देन को देखते हुए उन्हें अब तक कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

उन्होंने वर्ष 1958, 1962, 1965, 1969, 1993, एवं 1994 मे कुल मिलाकर छ:बार फिल्मफेयर पुरूस्कार  प्राप्त किए। वे गायन के लिए तीन बार वर्ष 1972, 1975 एवं 1990 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित की जा चुकी हैं । भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1969 में ‘पद्म भूषण’ से अलंकृत किया । वर्ष 1984 -85 में मध्य प्रदेश सरकार ने उनके नाम पर ‘लता मंगेश्कर ’ देना शुरु किया। वे इस समय एकमात्र ऐसी शख्सिय हैं, जिनके जीवित रहते हुए उनके नाम पर कोई पुरस्कार दिया जाता है। भारतीय फ़िल्मो में उनके योगदान को देखते हुए वर्ष 1989 में उन्हें ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया ।

वर्ष 1993 में फ़िल्मफेयर ने उन्हें ‘लाइफ टाइम अचीवमेण्ट पुरस्कार ‘ प्रदान किया । वर्ष 1996 में स्क्रीन ने भी उन्हें लाइफ़ टाइम अचीवमेण्ट पुरस्कार’ प्रदान किया। वर्ष 1997 में उन्हें राजीव गाँधी पुरस्कार ‘ से सम्मानित किया गया । भारत सरकार ने वर्ष 1990 में उन्हें ‘पद्म भूषण ‘ से अलंकृत किया । ज़ी सिनेमा ने भी उन्हें वर्ष 1999 में ‘लाइफ टाइम अचीवमेण्ट पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया। इसके बाद वर्ष 2000 में वे राज्यसभा की सदस्या चुनी गई । भारत सरकार ने उनकी उपलब्धियो को देखते हुऐ वर्ष 2001 में देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया।

लता मंगेशकर ने अपने जीवन के संस्मरणो को पुस्तक का रुप दे दिया है, जो फुले वेचिता (फुल चुनते-चुनते) नाम से मराठी भाषा में प्रकाशित है। यह उनकी पहली पुस्तक है जो वर्ष 1997 में विशेष चर्चित पुस्तक रही । लता जी बॉलीवुड की सर्वाधिक लोकप्रिय हस्ती रही हैं । और आगे भी उनके द्वारा गाए गए गीतों की मधुर गूँज लोगों को अपना दीवाना बनाती रहगी। अब तक वे अपने अपने जीवन के 88 वसन्त देख चुकी हैं, इस उम्र में भी उनकी आव़ाज में जो मिठास है, वह अन्यत्र दुर्लभ है।

अभी भी उनके प्रशंसक चाहते हैं कि वे गाएँ, किन्तु अधिक उम्र एवं समाज सेवा से समय नहीं मिलनें जैसे कुछ कारणों से फिलहाल वे गायन को अपना समय नहीं दे पा रही हैं और अपने पिता के नाम पर बनाए गए ‘मास्टर दीनानाथ हॉस्पिटल के लिए कार्य करने में व्यस्त हैं । वह सदा मानव समुदाय के लिए सेवा करने के अवसरों की तलाश में रहती हैं । लता मंगेशकर भारतीय संगीत में एक अनुपम व अनुकरणीय व्यक्तित्व हैं, जिनके योगदान को अमरता प्राप्त हो चुकी है । विश्व का संगीत जगत सदा लता मंगेशकर का ऋणी रहेगा ।


♦Conclusion♦

सबसे पहले यह लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद प्रस्तुत लेख में स्वर कोकिला लता मंगेशकर की जीवनी, भारतीय सिनेमा में उनके योगदान, के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई. हम उम्मीद करते हैं कि Lata Mangeshkar Biography in Hindi | कोकिला लता मंगेशकर जी की जीवनी यह लेख आपको पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो नीचे हमें Comment में जरूर बताएं और इस लेख को अपने मित्रों के साथ Share करें.

इन्हें भी पढ़ें:

- Advertisement -
Editorial Team
Editorial Teamhttps://multi-knowledge.com
आप सभी पाठकों का हमारे ब्लॉग पर स्वागत है। Editorial Team लेखकों का एक समूह है; जो इस ब्लॉग पर पाठकों के लिए महत्वपूर्ण और जानकारी से भरपूर नए लेख अपडेट करता रहता है। मल्टी नॉलेज टीम का उद्देश्य डिजिटल इंडिया के तहत प्रत्येक विषय की जानकारी उपभोक्ताओं तक मातृभाषा हिंदी में सर्वप्रथम उपलब्ध कराना है। हमारी टीम द्वारा लिखे गए लेख पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

Related Post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

error: Protected
close button