Kuber Chalisa in Hindi | श्री कुबेर चालीसा

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Shri Kuber Chalisa जीवन में चल रही आर्थिक कष्टों का निवारण है. धन के महाराज कुबेर है जिन्हें जीवन में चल रही गरीबी और दुख दर्द के समय समस्त मानव जाति अपने सच्चे हृदय से याद करती है. Shri Kuber Chalisa in Hindi इस लेख में उपलब्ध है. Kuber Chalisa का पाठ आपके समस्त दुख दर्द का निवारण है.

कहा जाता है कि कुबेर ने मां पार्वती को एक आंख से जो मां पार्वती के तेज और शक्ति के कारण भस्म हो गई और पीली पड़ गई. इसके पश्चात कुबेर ने दोबारा कठोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और बदले में भगवान शिव नहीं उन्हें वरदान दिया कि वे एकाक्षीपिंगल कहलाएंगे.

Kuber Chalisa by multi-knowledge.com
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◊Shri Kuber Chalisa in Hindi◊

ॐ यक्षराजाय विद्महे वै श्रवणाय धिमही।
तन्नो कुबेर प्रचोदयात॥

ॐ श्री कुबेराय नमः धनम् देहि देहि।
रुणा पहारं कुरु कुरु स्वाहा॥

♦दोहा♦

जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पे, अविचल खडे कुबेर॥

विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर ।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढेर ॥

चौपाई

जै जै जै श्री कुबेर भंडारी ।
धन माया के तुम अधिकारी ।।

तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।
पवन बेग सम तनु बलधारी ।।

स्वर्ग द्वार की करे पहरे दारी ।
सेवक इन्द्र देव के आज्ञा कारी ।।

यक्ष यक्षणी की है सेना भारी ।
सेनापती बने युद्ध में धनुधारी ।।

महा योद्धा बन शस्त्र धारै ।
युद्ध करै शत्रु को मारै ।।

सदा विजयी कभी ना हारै ।
भगत जनों के संकट टारै ।।

प्रपितामह हैं स्वयं विधाता ।
पुलिस्त वंश के जन्म विख्याता ।।

विश्रवा पिता इडापिडा जी माता ।
विभिषण भगत आपके भ्राता ।।

शिव चरणों में जब ध्यान लगाया ।
घोर तपस्या करी तन को सुखाया ।।

शिव वरदान मिले देवत्व पाया ।
अम्रूत पान करी अमर हुई काया ।।

धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में ।
देवी देवता सब फिरैं साख में ।।

पीताम्बर वस्त्र पहरे गात में ।
बल शक्ति पुरी यक्ष जात में ।।

स्वर्ण सिंघासन आप विराजैं ।
त्रशुल गदा हाथ में साजैं ।।

शंख म्रुदंग नगारे बाजैं ।
गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ।।

चौंसठ योगनी मंगल गावैं ।
रिद्धी सिद्धी नित भोग लगावैं ।।

दास दासनी सिर छत्र फिरावैं ।
यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढुलावैं ।।

रिषियों में जैसे परशुराम बली हैं ।
देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ।।

पुरुषों में जैसे भीम बली हैं ।
यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ।।

भगतों में जैसे प्रल्हाद बडे हैं ।
पक्षियो में जैसे गरुड बडे हैं ।।

नागो मे जैसे शेष बडे हैं ।
वैसे ही भगत कुबेर बडे हैं ।।

कांधे धनुष हा में भाला ।
गल फुलो की पहरी माला ।।

स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला ।
दुर दुर तक होए उजाला ।।

कुबेर देव को जो मन में धारे ।
सदा विजय हो कभी ना हारे ।।

बिगडे काम बन जाए सारे ।
अन्न धन के रहे भरे भन्डारे ।।

कुबेर गरीब को आप उभारैं ।
कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ।।

कुबेर भगत के संकट टारैं ।
कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ।।

शीघ्र धनी जो होना चाहए ।
क्युं नही यक्ष कुबेर मनाए ।।

यह पाठ जो पढे पढाए ।
दिन दुगना व्यापार बढाए ।।

भूत प्रेत को कुबेर भगावैं ।
अडे काम को कुबेर बनावैं ।।

रोग शोक को कुबेर नशावैं ।
कलंक कोढ को कुबेर हटावैं ।।

कुबेर चढे को और चढादे ।
कुबेर गिरे को पुनः उठादे ।।

कुबेर भाग्य को तुरन्त जगादे ।
कुबेर भुले को राह बतादे ।।

प्यासे की प्यास कुबेर बुझादे ।
भुखे की भुख कुबेर मिटादे ।।

रोगी का रोग कुबेर घटादे ।
दुखिया क दुख कुबेर छुटादे ।।

बांझ की गोद कुबेर भरादे ।
कारोबार को कुबेर बढादे ।।

कारागार से कुबेर छुडादे ।
चोर ठगों से कुबेर बचादे ।।

कोर्ट केस में कुबेर जितावैं ।
जो कुबेर को मन में ध्यावै ।।

चुनाव में जीत कुबेर करावै ।
मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ।।

पाठ करे जो नित मन लाई ।
उसकी कला हो सदा सवाई ।।

जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई ।
उसका जीवन चले सुखदाई ।।

जो कुबेर का पाठ करावै ।
उसका बेडा पार लगावै ।।

उजडे घर को पुनः बसावै ।
शत्रु को भी मित्र बनावै ।।

सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई ।
सब सुख भोग पदार्थ पाई ।।

प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई ।
क्रुष्णदत्त कुबेर कीर्ती गाई ।।

♦दोहा♦

शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर ।
हिरदे मे ज्ञान प्रकाश भर, करदो दूर अंधेर ।।

करदो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर ।
शरण पडा हुं आपकी, दया की द्रुष्टी फेर ।।


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