Kabir Das Biography in Hindi: महान संत कबीरदास ज्ञान आश्रय शाखा के मुख्य कवि माने जाते हैं. “कबीरदास का जीवन परिचय” (Biography of Kabir Das in Hindi) नीचे प्रस्तुत किया गया है, आप उनके जीवन परिचय को पढ़कर उनके साहित्यिक योगदान और कृतियों से परिचित होंगे.
कबीर दास को ज्ञान आश्रय शाखा के प्रमुख कवियों में से माना जाता है. उन्होंने अपने समस्त जीवन काल में सर्वाधिक ध्यान जातिवाद मिटाने पर दिया. देश स्वयं भी एक मुस्लिम थे या हिंदू उसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है. आइए पढ़ते हैं- Kabir Das Biography in Hindi.
Kabir Das Biography in Hindi (कबीरदास का जीवन परिचय)
नाम – कबीर दास |
जन्म – 15 वी शताब्दी ,संवत 1455, रामतारा (काशी) |
गुरु का नाम – संत आचार्य रामानंद जी |
विवाह – “लोई’ |
विशेष- ज्ञानाआश्रय शाखा के प्रतिनिधि कवि. |
मृत्यु – संवत 1551, मगहर |
साहित्यिक कार्य-भक्ति आंदोलन. प्रगतिशील लेखक आंदोलन में भाग लेना. |
रचनाएं- साखी, सबद, रमैनी |
कार्यक्षेत्र- ज्ञान क्षेत्र |
महान संत और रहस्यवादी कवि कबीर दास जी का जन्म 15 वी शताब्दी में हुआ था. इनके जन्म की तिथि एवं जन्म स्थान के संबंध में बहुत से मत-भेद हैं अतः यह स्पष्ट नहीं है कि इनका जन्म कब और किस स्थान पर हुआ था. अधिकतर विद्वान कबीरदास का जन्म काशी में रामतारा नामक तालाब पर में मानते हैं. उन्होंने अपने जन्म स्थान के संबंध में भी एक वाक्यांश लिखा है जो इस प्रकार है कि- “काशी में परगट भरे रामानंद चेताये।”
कहा जाता है,इनकी माता एक विधवा ब्राह्मणी थी.जो इन्हें बचपन में राम तारा तालाब के पास छोड़ कर चली गई थी. इसके बाद कबीर दास जी का लालन पोषण एक मुस्लिम परिवार में हुआ था , इनके वास्तविक माता-पिता का नाम प्रमाणित नहीं है. कुछ विद्वानों के अनुसार कि नीरू और नीमा नाम के मुस्लिम पति एवं पत्नी ने कबीर दास का पालन पोषण किया. नीरू नाम के जुलाहा को कबीर रामतारा तालाब के निकट पढ़ें मिले थे. कबीर दास जी द्वारा लिखे गए एक दोह में भी इसका वर्णन किया गया है- “जाति जुलाहा नाम कबीरा”, बनि बनि फिरो उदासी
कबीरदास की हार्दिक इच्छा थी, कि उनके गुरु संत आचार्य रामानंद जी बने लेकिन आचार्य रामानंद जी ने कबीर दास को अपना गुरु बनाने से इनकार कर दिया. किंतु कबीर दास जी ने भी ठान लिया था, कि वे अपना गुरु आचार्य रामानंद जी को ही बनाएंगे.
एक बार प्रातः काल की बेला में जब रामानंद जी गंगा स्नान कर रहे थे, तो कबीर दास उनके रास्ते में पड़ने वाले मंदिर की सीढ़ियों पर लेट गए, और जब रामानंद जी स्नान करके लौट रहे थे तब उनका पैर कबीर दास जी के ऊपर पड़ा और कबीर दास के मुख से “राम” शब्द निकला. इसी को देख कर आचार्य रामानंद जी ने कबीर दास को अपना चेला बना लिया और उन्हें शिक्षा दीक्षा देने लगे. कबीर दास हिंदू एवं मुस्लिम शब्द को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे. बे सभी को एक समान ईश्वर का पुत्र मानते थे.
कबीरदास मानते थे कि हमारे कर्मों के अनुसार हमें फल मिलता है और उन्होंने अपने सारे दोहो में भी इसका व्याख्यान किया है. अपनी इस बात को अंतिम समय में साबित करने के लिए वे मगहर में रहने लगे, क्योंकि कुछ लोगों का कहना था कि मगहर में मरने वाले लोगों को नरक मिलता है और काशी में मरने वाले लोग स्वर्ग में जाते हैं. इस अवधारणा को गलत साबित करने के लिए उन्होंने अपनी अंतिम सांस मगहर मे ली. आज भी कबीर दास का मजार मगहर में बना हुआ है. इनकी मृत्यु के संबंध में भी कोई पुख्ता सबूत नहीं है किंतु कुछ विद्वानों के अनुसार इनका निधन संवत 1551 में हुआ था.
Compositions of Kabir Das in Hindi (कबीर दास की रचनाएं)
कबीर दास की शिष्यों ने उनकी वाणी को बीजक नाम के काव्य संग्रह में एकत्रित करके रखा था .इस काव्य संग्रह के मुख्यतः तीन भाग हैं. जिनका नाम साखी, सबद, रमैनी है-
साखी– साखी शब्द संस्कृत के “साक्षी “शब्द से बना है और इसका मतलब होता है धर्म का उपदेश कबीर दास के इस काव्य संग्रह में अधिकतर दोह लिखे गए हैं. कहीं-कहीं पर सोरठा का प्रयोग भी किया गया है.
सबद– शब्द के प्रकार का गेय पद है. इस काव्य में कबीर ने प्रेम प्रसंग से संबंधित रचनाएं की हैं.
रमैनी– यह बीजक का तीसरा हिस्सा है और इसमें चौपाई छंद लिखी गई है.
language Style of Kabir Das in Hindi (कबीरदास की भाषा शैली)
कबीर दास जी की भाषा सधुक्कड़ी और मिश्रित भाषा है. इन्होंने लगभग सभी प्रकार की भाषा का प्रयोग किया था ,जिनमें से हरियाणवी, पंजाबी, खड़ी बोली, अवधी ब्रज, भाषा राजस्थानी मुख्य है.
♦Conclusion♦
सबसे पहले यह लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद प्रस्तुत लेख में कबीरदास का जीवन परिचय, कबीर दास की रचनाएं, कबीरदास की भाषा शैली, के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है.
हम जानते हैं कि Kabir Das Biography in Hindi | कबीरदास का जीवन परिचय यह लेख आपको पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो नीचे हमें Comment Section में जरूर बताएं और इस लेख को अपने परिवारिक एवं मित्रों के साथ Share करें.
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Hi
hello , sir
Bahut badiya bro
Dhanyabaad …Ritik ji
बहुत अच्छी bioGraphy लिखी है आपने सचिन गंगवार जी
Appka Dhnyabaad Satyadev ji
Sir, we have gained a lot of kowledge from your site, it is very well writen. write some such post which we aloso get some knowledge
आपने कबीरदास के बारे में बहुत ही उपयोगी जानकारी दी है , बहुत आभार इस जानकारी के लिए…धन्यवाद