प्रिय पाठको, आपने बहुत तरह की मछलियां सुनी और देखी भी होंगी। यदि आप मांसाहारी भोजन करते है, तो आपको मछलियों के बारे में कुछ ज्यादा ही पता होगा। लेकिन क्या आपने कभी सुनहरी मछली यानी गोल्डफिश के बारे में सुना है। गोल्डफिश मछलियों का एक प्रसिद्ध प्रकार है आज हम गोल्डफिश का परिचय, उत्पत्ति, रहने योग्य वातावरण और साथ ही गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है ? इन सभी के बारे में अच्छे से जानेंगे।
हम आपको गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है ? बताने के साथ ही Goldfish से जुड़ी कुछ ऐसी दिलचस्प रोचक बातें बताइए, जिन्हें आपने पहले कभी नहीं सुना होगा। जीव विज्ञान या सामान्य ज्ञान के विद्यार्थियों से भी कई बार परीक्षाओं में गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है इस प्रकार का प्रश्न बहुत ज्यादा पूछा जाता है। तो चलिए इसके बारे में जानते हैं:
Goldfish का संक्षिप्त परिचय
वैज्ञानिक नाम (Scientific Name) | कैरासियस ऑराटस (Carassius Auratus) |
लैटिन नाम | कैरासियस गिबेलियो फॉर्मा ऑराटस (Carassius Gibellio forma auratus) |
हिंदी नाम | सुनहरी मछली |
वर्ग | मछली |
उत्पत्ति | चीन |
अनुकूल तापमान | 18 से 26 डिग्री C |
भोजन | कीड़े, शैवाल |
अधिकता | अमेरिका |
प्रजातियां | साधारण गोल्डफिश, कॉमेट गोल्डफिश, शुबंकिन गोल्डफिश |
गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है ?
गोल्डफिश दुनिया में मछली की एक प्रजाति है। Goldfish के Scientific Name की बात की जाए तो, गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम ‘कैरासियस ऑराटस’ (Carassius Auratus) है। जबकि गोल्डफिश को हिन्दी में ‘सुनहरी मछली’ कहा जाता है।
यदि आप एक छात्र हैं, तो बेहतर होगा Goldfish का Scientific name आप सामान्य जानकारी के लिए अपने बनाए नोट्स में जरूर लिख लें। यह परीक्षाओं की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
गोल्डफिश का सामान्य परिचय
सुनहरी मछली देखने में बेहद ही आकर्षक लाल रंग की होती है। इसे दुनिया की सजावटी मछलियों में से एक माना जाता है। Goldfish मछली के पास एक लंबा शरीर और उसके छोटे पंख होते हैं, जो कि पानी में तैरने मे उसकी मदद करते हैं। गोल्डफिश के पंख लगभग आठ इंच तक लंबे होते हैं और लगभग 23 सेंटीमीटर तक और भी बढ़ सकते है।
इसका वजन केवल मात्र 3 किलो तक ही होता है। लाल, पीला, हरा, नीला, बैंगनी, काला, सफेद रंग मिलकर इसके शरीर को बनाते हैं, जो कि इसके शरीर को और ज्यादा मनमोहक बनाते है। सुनहरी मछली की खोज भी सबसे पहले चीन में ही हुई थी और इसे पालतू भी सबसे पहले चीन में ही बनाया गया था।
गोल्डफिश की उत्पत्ति
जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि Goldfish को सबसे पहली बार चीन में देखा गया था। एक बार जब चीन के जिंहुआन नाम के व्यक्ति लुशान पर्वत पर चढ़े थे तो उन्होंने एक तालाब में लाल रंग की चमड़ी से भरी मछलियों को देखा। तभी से ऐसा माना जाने लगा कि Goldfish की उत्पत्ति चीन से ही हुई थी।
इसके बाद चीन में तमाम राजवंश आते गए और Goldfish की देख रेख करके इसकी प्रजाति को आगे बढ़ाते चले गए। लेकिन आगे चलकर चीन के वैज्ञानिकों ने Goldfish के सरंक्षण और प्रजनन पर गंभीरता से काम किया, ताकि इसे आने वाले भविष्य तक सुरक्षित रखा जा सके।
चीन के वैज्ञानिकों की बदौलत इसे 1502 में जापान में पेश किया गया। लेकिन तब जापान इस Goldfish मछली पर कोई विशेष ध्यान नहीं दे पाया। लेकिन जैसे ही जापान दूसरे विश्व युद्ध से उबरा उसने ताइवान देश की मदद से Goldfish की कई प्रजातियों की शुरूआत की।
इसके बाद Goldfish को 17 वीं सदी में UK (United kingdom) में पेश किया गया और 18 वीं सदी मे यूरोप में भी पहुंचा दिया गया। इसके बाद 1874 में अमेरिका (USA) में भी Goldfish की पहुंच हो गई और देखते ही देखते पूरी दुनिया में Goldfish मछली ने अपनी एक अलग पहचान बना ली। आज Goldfish मछली को आप लगभग सभी देशों में देख सकते है।
Goldfish की पहचान
गोल्डफिश मछली दो तरह की होती हैं, एक तो नर और दूसरी मादा। यहां हम आपको नर और मादा दोनों ही मछलियों की पहचान के बारे में बताने वाले हैं। इसमें मादा Goldfish की पहचान उसके शरीर के मोटा होने से की जाती है; क्योंकि उसके शरीर में अंडे भरे होते हैं।
मादा मछली के शरीर का रंग गहरा और बनावट में शरीर गोल आकार का होता है। मादा गोल्डफिश प्रजनन के मौसम में अंडे का विकास करती हैं, जिसके कारण इनकी गुदा गोल आकार में दिखाई देती है। जबकि नर मछली को उनके गलफड़ों और उनके शरीर पर लगे पंखों के टयूबरकल से पहचाना जाता है।
Goldfish के प्रकार या प्रजातियां
अभी तक आपने जाना कि गोल्डफिश मछली कि खोज किस तरह हुई थी, साथ ही आगे चलकर गोल्डफिश किस तरह से पूरी दुनिया में पहुंच गई। आइए अब आपको बताते हैं कि गोल्डफिश मछली की कुल कितनी प्रजातियां होती है।
गोल्डफिश की अबतक 300 के करीब प्रजातियां देखी जा चुकी हैं। यहां हम आपको उसमें से कुछ खास और महत्वपूर्ण प्रजातियों के बारे में बताने जा रहे है:
साधारण सुनहरी मछली (Common Goldfish)
दुनिया में सबसे ज्यादा लोक प्रिय Goldfish की यही प्रजाति है। साथ ही इसे ही Goldfish की मूल प्रजाति भी माना जाता है। इसके शरीर पर छोटे पंख और इसका पतला शरीर होता है। साथ ही इसकी छोटी छोटी मूंछे भी होती हैं। सामान्यत: यह लाल रंग में पाई जाती है, लेकिन इसकी कई बार इसे पीले रंग में भी देखा गया है। दूसरी मछलियों के मुकाबले इसे काफी तेज माना जाता है।
शुबंकिन गोल्डफिश (Shubunkin Goldfish)
यह प्रजाति सबसे ज्यादा लंदन में पाई जाती है। इसका शरीर भी दूसरी Gold fish मछलियों की तरह सुनहरी रंग का ही होता है। इसका सही रंग कैलिको होता है। जबकि शरीर में इसके भी छोटी मूंछे और छोटे पंख और पतले शरीर के आकार की होती है। शुबंकिन गोल्डफिश में भी तीन प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें लंदन शुबंकिन, अमेरिकन शुबंकिन और ब्रिस्टल शुबंकिन शामिल हैं।
कॉमेट गोल्डफिश (Comet Goldfish)
ये मछली दूसरी गोल्ड फिश से अलग होती है। इस मछली के पंख बहुत लम्बे होने के साथ दो भागों में विभाजित भी होते हैं। जबकि इसका शरीर भी पतले आकार का ही होता है। इसकी अच्छी तरह से विभाजित मूछ इसके पंखों को और ज्यादा आकर्षक बनाती है। इसके लिए बहुत बड़े तैराकी स्थान की जरूरत होती है। दुनिया में सबसे ज्यादा ये मछली अमेरिका में पाई जाती है।
अमेरिकी / जापानी शुबंकिन (American / Japanease Shubunkin)
इसके पंख बेहद लंबे और एक बिंदु पर जाकर समाप्त होते हैं। इसका शरीर बेहद पतला और फुर्तीला होता है। इसके तैरने के लिए बहुत बड़े तालाब की आवश्यकता रहती है।
ब्रिस्टल शुबंकिन (Bristol Shubunkin)
इसका पंख बेहद ही चौड़ा होता है। जो कि इसे दूसरों से अलग बनाती है। यह मछली हमेशा कैकिलो रंग में पाई जाती है। इसका शरीर भी पतले आकार का होता है और इसे भी तैराकी के लिए बड़े स्थान की आवश्यकता होती है।
गोल्डफिश के लिए उचित वातावरण
गोल्डफिश भी दूसरी मछलियों की तरह ही एक सामान्य वातावरण में रहना पसंद करती है। गोल्डफिश की औसतन उम्र 6 साल होती है, लेकिन कई बार ये इससे भी ज्यादा जीवित रहती है। अमूमन इन्हें मीठे पानी में रखना चाहिए, लेकिन थोड़ा बहुत खारा पानी भी इन्हें नुकसान नहीं पहुंचाता है।
ये मछलियां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही तरह के भोजन कर सकती हैं। लेकिन मांसाहारी भोजन नाम मात्र ही ग्रहण करती हैं। गोल्डफिश के गले में नुकीले नुकीले आकार में संभवत दांत लगे होते है, जो कि इसे कठोर चीजें खाने में मदद करते हैं। गोल्डफिश के रहने के लिए जल का तापमान 18 से 26 डिग्री C उचित माना जाता है।
लेकिन यदि तापमान में अचानक परिवर्तन होता है, तो इनकी मौत भी हो सकती है। गोल्डफिश समुद्र के बीच में रहना ज्यादा पसंद करती है। क्योंकि इन्हें शैवाल आदि जैसे पोषक तत्वों के बीच रहना पसंद है। लोग इन्हे बड़े लेड जार में भी रखते है, लेकिन उसके लिए उचित वातावरण बनाने की जरूरत पड़ती है।
गोल्डफिश से जुड़े 10 रोचक तथ्य
अभी तक आपने गोल्डफिश के बारे में तमाम जानकारियां हासिल की। लेकिन गोल्डफिश के बारे में कुछ ऐसे भी रोचक तथ्य हैं जो आपके लिए बेहद दिलचस्प होंगे। आइए आपको गोल्डफिश से जुड़े दस ऐसे ही दिलचस्प तथ्य बताते हैं जो बेहद रोचक है।
- गोल्डफिश दुनिया के सबसे ज्यादा पाले जाने वाले जानवरों में से एक है।
- इनकी खास बात ये है कि ये ध्वनि, रंग, आकार आदि में अंतर समझ सकती हैं। साथ ही व्यक्तियों के चेहरों को भी पहचान सकती हैं। ये इनकी सबसे बड़ी विशेषता है।
- गोल्डफिश अल्ट्रावायलेट तरंगों को भी देख सकती है। जिसे मनुष्य भी नही देख सकता।
- आपको जानकर हैरानी होगी कि गोल्डफिश आंखें खोलकर सोती है। क्योंकि इसकी आंखों के ऊपर पलकें नहीं होती जिससे इनकी आंखे बंद नहीं होती।
- गोल्डफिश की दुनियाभर में लगभग 300 के करीब प्रजातियां पाई जाती है, जो कि तमाम अलग अलग देशों में पाई जाती है।
- गोल्डफिश का सामान्य जीवनकाल तो लगभग छह साल का होता है, लेकिन यदि इसकी अच्छे से देखभाल की जाए तो यह 30 साल तक भी जीवित रह सकती है। जो कि दूसरी मछलियों के लिए संभव नहीं है।
- गोल्डफिश अप्रैल और मई के महीने में प्रजनन करती है। खुले पानी और स्वतंत्र रूप से ये सबसे ज्यादा प्रजनन करती हैं।
- ये मछलियां सर्वाहारी होती है। इसलिए यदि ये किसी समुद्र में होती हैं, तो कीड़े मकोड़े, मच्छर और शैवाल खाती हैं। लेकिन यदि इन्हें बगीचे के तालाब में रख दिया जाए तो ये मकई, दलिया भी खा लेती है।
- गोल्डफिश को बेहतर वातावरण देने के लिए जरूरी है कि इन्हें प्रति मछली कम से कम तीस लीटर पानी के टैक में जरूर रखा जाए।
- आधिकांश गोल्डफिश मछलियां नारंगी-लाल या नारंगी-पीले रंग में ही पाई जाती है। लेकिन कई बार गोल्डफिश काले धब्बों वाली सफेद सुनहरी मछलियां भी पाई जाती हैं।
FAQ
गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है ?
गोल्डफिश मछली का साइंटिफिक नाम ‘कैरासियस ऑराटस’ (Carassius Auratus) है।
गोल्डफिश को हिंदी में क्या कहते हैं ?
गोल्डफिश मछली को हिन्दी में ‘सुनहरी मछली’ कहते हैं।
गोल्डफिश का असली नाम क्या है ?
आम बोलचाल की भाषा में इसे गोल्डफिश कहा जाता है। जबकि इसका दूसरा नाम ‘गोल्डन क्रूसियन कार्प’ है। इसका लैटिन भाषा का नाम ‘कैरासियस गिबेलियो फॉर्मा ऑराटस’ है।
गोल्डफिश कहां पाई जाती है ?
इसको पहली बार तो चीन में देखा गया था, लेकिन फिलहाल ये पूरी दुनिया में पाई जाती है। लेकिन माना जाता है कि गोल्डफिश मछली सबसे ज्यादा अमेरिका में पाई जाती है।
गोल्डफिश कितने प्रकार की होती हैं ?
गोल्डफिश की अब तक लगभग 300 प्रजातियों की सफलता पूर्वक खोज की जा चुकी है।
गोल्डफिश क्या खाती है ?
गोल्डफिश सर्वाहारी होती है। समुद्र में ये कीडे मकोडे मच्छर आदि खाती है। जबकि पालतू बनाने वाले लोग इसे दलिया और मकई जैसा शाकाहारी भोजन भी दे सकते है। लेकिन मुख्यत: इसका जीवन मासाहारी भोजन पर ही आधारित होता है।
गोल्डफिश बिना कुछ खाए कितने दिन तक जीवित रह सकती है ?
आमतौर पर गोल्ड फिश मछली बिना कुछ खाए पिए 14-15 दिनों तक जीवित रह सकती है। लेकिन दुनिया में तमाम चीजों के रिकार्ड दर्ज करने वाली ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज है, कि गोल्ड फिश चार महीने तक भी बिना कुछ खाए पिए जीवित रह सकती है।
गोल्डफिश को गोल्डफिश क्यों कहा जाता है ?
इसे गोल्डफिश नाम इसके सुनहरे रंग की वजह से मिला है। क्योंकि इसकी ज्यादातर प्रजातियां सुनहरे रंग में ही पाई जाती है।
आज आपने क्या सीखा ):-
हमने इस लेख में गोल्ड फिश के बारे में लगभग समस्त जानकारी संक्षिप्त एवं सरल भाषा में आपको उपलब्ध कराई है। उम्मीद करते हैं, कि यह लेख पढ़ने के बाद आपको गोल्ड फिश के बारे में जानने के लिए किसी अन्य वेबसाइट पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
गोल्डफिश से संबंधित गूगल पर सर्च किए जाने वाला सबसे मुख्य प्रश्न Goldfish ka Scientific name kya hai है; क्योंकि यह है; अधिकतर परीक्षाओं पूछ लिया जाता है हमने इसका भी जवाब आपको दिया है।
आशा करते हैं कि गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है, यह लेख आपको महत्वपूर्ण और अच्छा लगा हुआ, आप हमें कमेंट के माध्यम से अपना Feedback दे सकते हैं आपसे एक विनम्र निवेदन है की इस पोस्ट को अपने मित्रों के साथ SHARE करना ना भूले
Very Nice Informatiom