Dr. Rajendra Prasad Biography in Hindi: भारत के प्रथम राष्ट्रपति, स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण व्यक्ति एवं महान लेखक “डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय” (Biography of Dr. Rajendra Prasad in Hindi) यहां दिया गया है यह पढ़कर आप उनके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. प्रसाद जी को लोकप्रिय होने के कारण “राजेन्द्र बाबू” या “देशरत्न” जैसे नामों से भी जाना जाता है. भारतीय संविधान के निर्माण के समय सबसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे तो आइए पढ़ते हैं भारत रतन राजेंद्र बाबू की जीवनी.
Dr. Rajendra Prasad Biography in Hindi (डॉ0 राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय)
नाम – डा0 राजेन्द्र प्रसाद |
जन्म – सन् 1884 , जीरादेई (बिहार ) |
विवाह – राजबंशी देवी |
विशेष- भारत के प्रथम राष्ट्रपति |
कार्यक्षेत्र- साहित्य एवं राजनीति, स्वतंत्रता संग्राम |
रचनाएं- भारतीय शिक्षा, शिक्षा और संस्कृति साहित्य मेरी यूरोप-यात्रा |
मृत्यु– सन् 1963 |
पुरस्कार– भारत रत्न की उपाधि (1962) |
प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार और सफल राजनीतिक देशरल डा0 राजेन्द्र प्रसाद का जन्म (Birth of Dr. Rajendra Prasad) सन् 1884 में बिहार राज्य के छपरा जिले के जीरादेई नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम महादेव सहाय था। इन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम. ए. और एल.एल. बी. (कानून) की डिग्री। की परीक्षा पास की। ये मेधावी छात्र थे और परीक्षा में सदैव प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होते थे।
मुजफ्फरपुर में एक कालेज में कुछ दिन अध्यापन कार्य करने के बाद इन्होंने सन् 1911 से 1920 तक कलकत्ता और पटना में वकालत का कार्य किया, परन्तु ये गाँधीजी के आदर्शों, सिद्धान्तों तथा आजादी के आन्दोलनों से बहुत प्रभावित थे। सन् 1917 में इन्होंने चम्पारण के आन्दोलन में सक्रियता से भाग लिया तथा वकालत छोड़कर पूर्णरूप से राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम में लग गए।
इन्होंने विदेश जाकर भारत के पक्ष को विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया, इन्होंमे अनेक बार जेल की यातनाएँ भी सहन की। डा. राजेन्द्र प्रसाद तीन बार भारतीय ऱाष्ट्रीय कांग्रेस के सभापति रहे। सादा जीवन उच्च विचार इनके जीवन का मूलमन्त्र था। इनकी ईमानदारी, निष्पक्षता और प्रतिभा को ध्यान में रखकर इनको भारत का प्रथम राष्ट्रपति नियुक्ति किया गया। सन् 1952 से 1962 तक ये इस पद पर आसीन रहे। सन् 1962 में इन्हें “भारत रत्न” की उपाधि से विभूषित किया गया। आजीवन हिन्दी और राष्ट्र की सेवा करने वाले डा. राजेन्द्र प्रसाद का सन् 1963 में स्वर्गवास (Death of Dr. Rajendar Parsad) हो गया।
Literary introduction of Dr. Rajendra Prasad in Hindi (डॉ0 राजेंद्र प्रसाद का साहित्यिक परिचय)
डा. राजेन्द्र प्रसाद एक महान् व सफल लेखक थे। बहुत समय तक ये अंग्रेजी में ही रचनाएँ लिखते रहे, किन्तु इन्हें हिन्दी से भी विशेष लगाव था। ये जीवन भर हिन्दी के विकास के लिए प्रयत्न करते रहे। इन्हीं के प्रयासों से कलकत्ता में हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्थापना हुई। ये “हिन्दी साहित्य सम्मेलन नागपुर” के सभापति रहे तथा “काशी नागरी प्रचारिऩी सभा” और दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा के द्वारा हिन्दी के विकास के लिए सहयोग देते रहे।
इन्होने देश नामक पत्रिका के सफलतापूर्वक सम्पादन से हिन्दी के प्रचार-प्रसार में योगदान दिया। ये एक कुशल वक्ता भी थे। तीव्र बुद्धि व अनूठी तर्कशक्ति से सम्पन्न होने के कारण इन्होनें समाज, शिक्षा, संस्कृति, राजनीति आदि विभिन्न विषयों पर बहुत-सी रचनाएँ लिखीं।
Composition’s Dr. Rajendra Prasad in Hindi (डॉ राजेंद्र प्रसाद की कृतियाँ )
राजेन्द्र प्रसाद ने अपने जीवनकाल में विशिष्ट रचनाएँ रचित कीं। भारतीय शिक्षा, शिक्षा और संस्कृति साहित्य, मेरी आत्मकथा, बापूजी के कदमों में गाँधी की देन, संस्कृति का अध्ययन, मेरी यूरोप-यात्रा, चम्पारन में महात्मा गाँधी तथा खादी का अर्थशास्त्र आदिय़ इसके अलावा उनके भाषणों के भी कई संग्रह प्रकाशित हुए हैं।
Language of Dr. Rajendra Prasad in Hindi (डॉ राजेंद्र प्रसाद की भाषा शैली)
डा. राजेन्द्र प्रसाद की भाष सुबोध, सहज, सरल तथा व्यावहारिक हैं। इनके बहुत से निबन्धों में अंग्रेजी, उर्दू, बिहारी तथा संस्कृत शब्दों का प्रयोग हमें स्पष्ट से दिखाई पड़ता है, इन्होंने कहीं-कहीं ग्रामीण कहावतों और शब्दों का भी प्रयोग किया है। इनकी भाषा में अलंकारिता कहीं भी दिखाई नहीं पड़ती है, इन्होनें छोटे-छोटे भावात्मक वाक्यों का प्रयोग भी किया है। इनकी भाषा मे बनावटीपन नहीं है।
ड़ा राजेन्द्र प्रसाद की शैली भी उनकी भाषा की तरह ही आडम्बररहित है। इसमें इन्होनें आवश्यकतानुसार ही छोटे-बड़े वाक्यों का प्रयोग किया है। इन्होनें अपनी रचनाओं में साहित्यिक शैली तथा भाषण शैली का मुख्य रूप से प्रयोग किया है।
Dr. Rajendra Prasad’s place in literaturein Hindi (डॉ0 राजेंद्र प्रसाद का हिन्दी साहित्य में योगदान)
ड़ा0 राजेन्द्र प्रसाद हिन्दी के विशिष्ट सेवक एवं प्रचारक थे, इन्होनें हिन्दी भाषा की आजीवन सेवा की। ये गहन विचारक के रूप से सदैव स्मरण किए जाएँगे। हिन्दी के आत्मकथा साहित्य में इनकी प्रसिद्ध पुस्तक मेरी आत्मकथा का विशेष स्थान हैं। इनकी सेवाओं के लिए साहित्य में सदैव इनका नाम अमर रहेगा।
♦Conclusion♦
सबसे पहले यह लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद प्रस्तुत लेख में ड़ा0 राजेन्द्र प्रसाद का जीवन परिचय, प्रसाद जी की रचनाएं, प्रसाद जी की भाषा शैली, के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई.
हम उम्मीद करते हैं कि Dr. Rajendra Prasad Biography in Hindi | डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय यह लेख आपको पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो नीचे हमें Comment में जरूर बताएं और इस लेख को अपने परिवारिक एवं मित्रों के साथ Share करें.
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