MaithiliSharan Gupt Biography in Hindi: देश के राष्ट्रीय कवि कहे जाने वाले महान विभूति “मैथिलीशरण गुप्त जी का जीवन परिचय परिचय” (Biography of MaithiliSharan Gupt in Hindi) के बारे में नीचे दिया गया है. पदमभूषण से सम्मानित मैथिलीशरण गुप्त सदैव ही भारत मां के लिए और मानवतावादी दृष्टि से लिखते थे. उन्होंने सर्वाधिक रचनाएं खड़ी बोली में लिखी और इसी को अपना आधार बनाया. आइए भारत मां के सच्चे सपूत मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय पढ़ते हैं-
MaithiliSharan Gupt Biography in Hindi (मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय)
नाम – मैथिलीशरण गुप्त जी |
जन्म – 1886 ई0 |
विवाह – उर्मिला |
विशेष- राष्ट्रीय कवि की उपाधि |
कार्यक्षेत्र- राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत रचनाएं |
रचनाएं- यशोधरा, द्वापर, जय भारत, विष्णु प्रिया |
मृत्यु– 1964 ई0 |
पुरस्कार- पद्म भूषण (1948), पद्म विभूषण (1953) |
राष्टकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म (Birth of Maithili Sharan Gupt) झाँसी जिले के चिरगाँव नामक स्थान पर 1886 ई0 में हुआ था। इनके पिताजी का नाम सेठ रामचरण गुप्त और माता का नाम काशीबाई था इनके पिता को हिन्दी साहित्य से विशेष प्रेम था, गुप्त जी पर अपने पिता का पूर्ण प्रभाव पड़ा। इनकी प्राथामिक शिक्षा चिरगाँव तथा माध्यामिक शिक्षा मैकडोनल हाईस्कुल (झाँसी) से हुई। घर पर ही अंग्रेजी, बांग्ला, संस्कृत एवं हिन्दी का अध्ययन करने वाले गुप्त जी की प्रारम्भिक रचनाएँ कलकत्ता से प्रकाशित होने वाले वैश्योपकारक नामक पत्र में छपती थी।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी के संपर्क में आने पर उनके आदेश, उपदेश एवं परामर्श से इनके काव्य में पर्याप्त निखार आया. भारत सरकार ने इन्हें “पदम विभूषण” से सम्मानित किया. 12 दिसंबर 1964 (Death of MaithiliSharan Gupt) को मां भारती का यह सच्चा सपूत सदा सदा के लिए पंचतत्व में विलीन हो गया.
Literary Introduction of Maithilisharan Gupta in Hindi (मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक परिचय )
गुप्त जी ने खड़ी बोली के स्वरुप के निर्धारण एवं विकास में अपना महत्तवपूर्ण योगदान दिया। गुप्त जी की प्रारम्भिक रचनाओं मे लाक्षणिक वैचित्र्य एवॆ सूक्ष्म मनोभावों की मार्मिक अभिव्यक्ति हुई हैं। गुप्त जी ने अपनी रचनाओं मे प्रबन्ध के अन्दर गीति-काव्य का समावेश कर उन्हें उत्कृष्टता प्रदान की हैं।
मैथिलीशरण गुप्त जी की राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत रचनाओं के कारण हिन्दी साहित्य में इनका विशेष स्थान है । हिन्दी काव्य राष्ट्रीय भावों की पुनीत गंगा को बहाने का श्रेय गुप्त जी को ही है । अतः ये सच्चे राष्ट्रकवि हैं । उनके काव्य हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधी हैं ।
MaithiliSharan Gupt’s Compositions in Hindi (मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएं)
गुप्त जी के लगभग 40 मौलिक काव्य ग्रन्थों में भारत भारती (1912), रंग-भंभ (1909), जयद्रव वध, पंचवटी, झंकार, साकेत, यशोधरा, द्वापर, जय भारत, विष्णु प्रिया आदि उल्लेखनीय हैं ।
भारत भारती ने हिन्दी भाषियों में जाति और देश के प्रति गर्व और गौरव की भावना जगाई । ‘रामचरितमानस’ के पश्चात् हीन्दी में राम काव्य का दूसरा प्रसिध्द उदाहरण ‘साकेत ’है । ‘यशोधरा और ‘साकेत’ मैथिलिशरण गुप्त ने दो नारी प्रधान काव्य की रचना की ।
Language Style of Maithilisharan Gupta in Hindi (मैथिलीशरण गुप्त की भाषा शैली)
हीन्दी साहित्य में खड़ी बोली को साहित्यक रूप देने में गुप्त जी का माहत्वपर्ण योगदान है । गुप्त की भाषा में माधुर्य भावों की तीव्रता और प्रयुक्त शब्दों का सौन्दर्य अद् भुत है । वे गम्भीर विषयों को भी सुन्दर और सरल शब्दों में प्रस्तुत करने में सिध्दहस्त थे । इनकी भाषामें लोकोक्तियाँ एवं मुहावरों के प्रयोग से जीवन्तता आ गई है ।
गुप्त जी नूलतः प्रबन्धकार थे, लेकिन प्रबन्ध के साथ-साथ मुक्तक, गीति, गीति-नाट्य, आदि क्षेत्रों में भी उन्होने अनेक सफल रचनाएँ की हैं । उनकी रचना ‘पत्रावली’ पत्र शैली में रचित नूतन काव्य शैली का नमूना है । उनकी शैली में गेयता, प्रवाहमयता एवं संगीतात्मकता मौजूद है ।
♦Conclusion♦
सबसे पहले यह लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद प्रस्तुत लेख में मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय, मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएं, गुप्त जी की भाषा शैली के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है.
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