Subhadra Kumari Chauhan Biography in Hindi: वीर रस से ओतप्रोत कविताएं लिखने वाली महान कवित्री एवं श्री केसरिया पुरस्कार से सम्मानित “सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवन परिचय” (Biography of Subhadra Kumari Chauhan in Hindi) के महत्वपूर्ण अंश नीचे दिए गए. जिसे पढ़कर आप सुभद्रा जी के बारे में, उनकी रचनाओं एवं साहित्य के योगदान के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त करेंगे.
Subhadra Kumari Chauhan Biography in Hindi (सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय)
नाम – सुभद्रा कुमारी चौहान |
जन्म – 1904 ई. (निहालपुर) |
विवाह – लक्ष्मण सिंह चौहान |
विशेष- ‘झाँसी की रानी’ शीर्षक कविता सर्वाधिक लोकप्रिय है |
कार्यक्षेत्र- ओज एवं शौर्य के गुणों से भरा साहित्य |
रचनाएं- मुकुल और त्रिधारा’ सीधे-सादे चित्र, बिखरे मोती |
मृत्यु– 1948 ई. में (मोटर–दुर्घटना के कारण) |
पुरस्कार- ‘सेकसरिया’ पुरस्कार |
हिन्दी साहित्य में वीर काव्य की कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म (Birth of Subhadra Kumari Chauhan) इलाहाबाद के निहालपुर गाँव के एक समृध्द परिवार में 1904 ई. में हुआ था । इनके पिता रामनाथ सिंह सुशोभित, सम्पन्न तथा प्रतिष्ठित व्यक्ति थे । इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इलाहाबाद के ‘क्रॉस्थवेत गर्ल कॉलेज’ से हुई थी । 15 वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह खण्डवा (मध्य प्रदेश) के ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हो गया था ।
महात्मा गाँधी से प्रेरित होकर सुभद्रा जी ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और सक्रिय रूप से राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लेने लगीं । स्वतन्त्रता के आन्दोलनों में सक्रिय भागीदारी निभाने के कारण इन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा । इन्हें माखलाल चातुर्वेदी जी से साहित्यिक व राजनैतिक कार्यो में विशेष प्रोत्साहन प्राप्त था, उसी के फलस्वरूप इनकी रचनाओं व राजनैतिक कार्यो में राष्ट्रप्रेम व देशभक्ति का रंग व्यापक होकर मुखरित हुआ । वीर काव्य की इस कवयित्री की 1948 ई0 में मोटर –दुर्घटना के कारण असामयिक मृत्यु (Death of Subhadra Kumari Chauhan) हो गई ।
Literary introduction of Subhadra Kumari Chauhan in Hindi (सुभद्रा कुमारी चौहान का साहित्यिक परिचय)
सुभद्रा जी का साहित्य, ओज एवं शौर्य के गुणों से भरा पड़ा है । उनके द्वारा रचा गया साहित्य भले ही कम हो, लेकिन उन्होंने जो कुछ भी लिखा, वह अविस्मरणीय व अद्वितीय है । उन्होंने अपनी वीरता एवं ओजस्विता पूर्ण काव्य से अनेकों भारतीय युवक-युवतियों को राष्ट्रीय आन्दोलनों से सक्रिय होने व देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह करने के लिए प्रेरित किया । इनके द्वारा रचित ‘झाँसी की रानी’ व ‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ जन प्रेरणा स्रोत से युक्त अमर कविताएँ हैं, जिन्हें पढ़कर तत्काल ही ह्रदय में ओजस्विता के भाव संचारित होने लगते हैं ।
इनके द्वारा रचित ओज, शौर्य व आत्म-बलिदान के गुणों से युक्त रचनाएँ हिन्दी-साहित्य की अमूल्य उपलब्धि हैं । उन्होंने राष्ट्र-प्रेम की भावनाओं के अतिरिक्त वात्सल्य एवं श्रृंगारिक भावों की रचनाएँ भी की । इन्हें ‘मुकुल’ काव्य-संग्रह पर ‘सेकसरिया’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया ।
Compositions of Subhadra Kumari Chauhan in Hindi (सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएं)
अपने अल्पकालीन साहित्यिक जीवन में उन्होंने बहुत कम साहित्य सृजन किया, जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
1.काव्य–संग्रह- मुकुल और त्रिधारा’।
2.कहानी संग्रह- सीधे-सादे चित्र, बिखरे मोती तथा उन्मादिनी ।
Language-style of Subhadra Kumari Chauhan (सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली)
सुभद्रा जी की भाषा तत्सम शब्द प्रधान सरल व सुबोध है । इनकी रचनाओं में ओज, प्रसाद व माधुर्य गुणों का भली-भाँति प्रयोग दिखाई देता है । काव्य में प्रयुक्त लक्षण एवं व्यंजना शब्द-शक्तियाँ, कविता के अर्थ को गहराइ एवं व्यापकता प्रदान करती हैं ।
अलंकारों व मुक्तक शैली का प्रयोग काव्य के सौन्दर्य को बढ़ा देता है । वीर काव्य की रचनाओं में वीर रस व ओजपूर्ण शैली का प्रयोग देखते ही बनता है । इनकी शैली अत्यन्त सरल एवं सुबोध है ।
Subhadra Kumari Chauhan’s place in literature in Hindi (सुभद्रा कुमारी चौहान का साहित्य में स्थान )
सुभद्रा जी की कविताओं ने इन्हें सच्ची वीरांगना के रूप में पहचान दिलाई । इन्होंने भारतीय युवक-युवतियों को अपनी कृतियों के आधार पर स्वतन्त्रता संग्राम में स्वयं को समर्पित कर देने के लिए प्रेरित किया है । उनकी ‘झाँसी की रानी’ शीर्षक कविता सर्वाधिक लोकप्रिय है और उसे जो प्रसिध्दि प्राप्त हुईस वह कई बड़े-बड़े महाकाव्यों को भी प्राप्त न हो सकी । अपनी रचनाओं द्वारा इन्होंने महिलाओं के समक्ष नारी के निर्भीक रूप को प्रदर्शित किया, जो नारी समाज के लिए अमूल्य निधि है ।
♦Conclusion♦
सबसे पहले यह लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद प्रस्तुत लेख में सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय, सुभद्रा जी की रचनाएं, सुभद्रा जी की भाषा शैली, के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई.
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आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मेरा नाम विनीता कुंवर है। आपका लेख पढ़कर मुझे बहुत खुशी हुई। मैं भी आपकी तरह लेख लिखती हूं।
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