Rahul Sankrityayan ka Jeevan Parichay: निम्नवत लेख में बचपन से ही घुमक्कड़ प्रवृत्ति वाले, घुमक्कड़ शास्त्र के रचयिता, महान लेखक पंडित राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय (Biography of Pandit Rahul Sankrityayan), साहित्यिक परिचय और उनके द्वारा हिंदी साहित्य को दी गई धरोहर अर्थात राहुल सांकृत्यायन जी की प्रमुख रचनाओं के बारे में जानकारी दी गई है।
पंडित राहुल सांकृत्यायन देश-विदेश यात्रा करने के साथ-साथ साहित्य के माध्यम से लोगों को यात्रा के प्रति उत्सुक किया है। राहुल जी ने लोगों से कहा है कि “कमर बांध लो भावी घुमक्कड़ों, संसार तुम्हारे स्वागत के लिए बेकरार है” उन्होंने अपने इस जीवन काल में एक सन्यासी से लेकर वेदान्ती, आर्यसमाजी व किसान नेता एवं बौद्ध भिक्षु से लेकर साम्यवादी चिन्तक तक का सफर एवं अनुभव किया। आइए ऐसे महान लेखक के बारे में विस्तार से जानते हैं:
राहुल सांकृत्यायन का परिचय (संक्षिप्त में)
जन्म | 9 अप्रैल, 1893 ई0 |
जन्म स्थान | पंद्रह (आजमगढ़) |
मृत्यु | 14 अप्रैल, 1963 ई0 |
भाषा | सरल और परिष्कृत भाषा |
प्रमुख रचनाएं | वोल्गा से गंगा, मेरी जीवन यात्रा, विश्व की रूपरेखा, मध्य एशिया का इतिहास |
राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय (Biography of Rahul Sankrityayan in Hindi)
राहुल सांकृत्यायन जी का जन्म 9 अप्रैल 1893 में रविवार के दिन अपने नाना पंडित रामशरण पाठक के यहां आजमगढ़ के पंद्रह नामक गांव में हुआ था। इनके पिता पंडित गोवर्धन पांडे एक कट्टर धर्म वादी ब्राह्मण थे। इनके पिता पंद्रह से 10 मील दूर कनैला ग्राम में रहते हैं। राहुल जी का बचपन का नाम केदारनाथ पांडे था। “सांकृत्यायन” इनका गोत्र था। इसी के आधार पर उनके नाम में राहुल सांकृत्यायन जुड़ गया। बौद्ध धर्म में आस्था होने पर अपना नाम बदलकर महात्मा बुद्ध के पुत्र के नाम पर राहुल रख लिया।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा रानी की सराय और फिर निजामाबाद में हुई, जहां से उन्होंने 1960 ई0 में उर्दू में मिडिल पास किया। इसके उपरांत उन्होंने संस्कृत की उच्च शिक्षा वाराणसी से प्राप्त की। यही इनमें पालि-साहित्य के प्रति अनुराग उत्पन्न हुआ। इनके पिता की इच्छा थी कि आगे भी पढ़े, और इनका मन कहीं और था।
इन्हें घर का बंधन अच्छा नहीं लगा; राहुल सांकृत्यायन जी घूमना चाहते थे। इनकी इस प्रवृत्ति के कई कारण थे। इनके नाना पंडित रामशरण पाठक सेना में सिपाही थे और उस जीवन में दक्षिण भारत की खूब यात्रा की थी। इस विगत जीवन की कहानियां बालक केदारनाथ को सुनाया करते थे, जिसके कारण ही उनके मन में यात्रा प्रेम को अंकुरित होना पड़ा। इसके बाद इन्होंने कक्षा 3 की उर्दू पाठ्यपुस्तक (मौलवी इस्माइल की उर्दू की चौथी किताब) पड़ी थी, जिसमें एक शेर इस प्रकार था।
सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहाँ ?
ज़िंदगी गर कुछ रही तो, नौजवानी फिर कहा ?
इस शेर के संदेश ने बालक केदार के मन में गहरा प्रभाव डाला। इनके द्वारा इनके घुमक्कड़ई जीवन का सूत्रपात हुआ और आगे चलकर उन्होंने बाकायदा घुमक्कड़ लोगों के निर्देशन के लिए ‘घुमक्कड़ शास्त्र’ ही लिख डाला। राहुल जी के यात्रा विवरण अत्यंत रोचक, रोमांचक, शिक्षाप्रद, उत्साहवर्धक और ज्ञानवर्धक होते हैं।
राहुल सांकृत्यायन जी ने पांच पांच बार तिब्बत, लंका और सोवियत भूमि की यात्रा की है। 6 महीने यह यूरोप में रहे थे और एशिया को उन्होंने जैसे छान ही डाला था। कोरिया, मंचूरिया, ईरान, अफगानिस्तान, जापान, नेपाल, केदारनाथ बद्रीनाथ, कुमाऊं गढ़वाल, केरल कर्नाटक, कश्मीर लद्दाख आदि के पर्यटन में दिग्विजय प्राप्त व्यक्ति कहने में कोई अत्युक्ति ना होगी। कुल मिलाकर राहुल जी पाठशाला और विद्यालय यही घुमक्कड़ जीवन था। 14 अप्रैल सन 1963 को भारत के इस पर्यटन प्रिय साहित्यकार का निधन हो गया।
राहुल सांकृत्यायन का साहित्यिक परिचय (Literacy introduction of Rahul Sankrityayan)
हिंदी के महान उपासक राहुल जीने हिंदी भाषा और साहित्य की बहुमुखी सेवा की है। इनका अध्ययन जितना विशाल था, साहित्य सृजन उतना ही विराट था। यह 36 एशियाई और यूरोपीय भाषाओं के ज्ञाता थे और लगभग 150 ग्रंथों सृजन करके इन्होंने राष्ट्रीय भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अपनी ‘जीवन यात्रा’ में राहुल जी ने स्वीकार किया है कि उनका साहित्यिक जीवन सन 1927 से प्रारंभ हुआ था। वास्तविक बात तो यह है कि इन्होंने किशोरावस्था पार करने के बाद ही लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने धर्म, भाषा, यात्रा, दर्शन, इतिहास एवं पुराण और राजनीति आदि विषयों पर अधिकार के साथ लिखा है।
हिंदी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में जिन्होंने अपभ्रंश काव्यशास्त्र जैसी श्रेष्ठ रचनाएं प्रस्तुत की है। इनकी रचनाओं में एक और प्राची नेता के प्रति मोह और इतिहास के प्रति गौरव का भाव विद्यमान है, तो दूसरी ओर इनकी अनेक रचनाएं स्थानीय रंग लेकर मनमोहक चित्र उपस्थित करती हैं।
राहुल सांकृत्यायन को सबसे अधिक सफलता यात्रा साहित्य लिखने में मिली है। जीवन यात्रा लिखने के प्रयोजन को राहुल जी ने इन शब्दों में प्रकट किया है “अपनी लेखनी द्वारा मैंने उस जगत की भिन्न-भिन्न जातियों और विशेषताओं को अंकित करने की कोशिश की है, जिसका अनुमान हमारी तीसरी पीढ़ी बहुत मुश्किल से करेगी” सचमुच जीवन यात्रा में स्वयं राहुल जी के बारे में कम मगर दूसरों के बारे में, परिवेश के बारे में अधिक जानकारी मिलते हैं। |
राहुल सांकृत्यायन जी की रचनाएं (Rahul Sankrityayan’s Compositions)
राहुल सांकृत्यायन जी की प्रमुख रचनाएं हैं – लंका, तिब्बत यात्रा, जापान, ईरान और रूस में 25 माह, इनके कुछ अन्य प्रसिद्ध ग्रंथ इस प्रकार हैं – वोल्गा से गंगा (कहानी संग्रह), सिंह सेनापति , जय योदेय, मेरी जीवन यात्रा, दर्शन दिग्दर्शन (दर्शन), विश्व की रूपरेखा (विज्ञान), मध्य एशिया का इतिहास (इतिहास), शासन शब्द कोश, राष्ट्रभाषा कोश, और तिब्बती हिंदी कोश।
राहुल जी भाषा शैली (Language style of Rahul ji)
राहुल सांकृत्यायन जी की भाषा शैली में कोई बनावट या साहित्यिक रचना का प्रयास नहीं है। सामान्यता संस्कृत लिस्ट परंतु सरल और परिष्कृत भाषा को इन्होंने अपनाया है। ना तो संस्कृत के कठिन, समास युक्त शब्दों को इन्होंने आश्रय दिया है और ना ही लंबे-लंबे वाक्य को; संस्कृत के प्रकांड विद्वान होते हुए भी यह जनसाधारण की भाषा लिखने के पक्षपाती थे।
इनकी शैली का रूप विषय और परिस्थिति के अनुसार बदलता रहता है। इनकी शैली के वर्णनात्मक, विवेचनात्मक, व्यंगात्मक उद्बोधन एवं उद्धरण आदि रूप देखने को मिलते हैं।
FAQ – राहुल सांकृत्यायन से जुड़े सवाल जवाब
Q.1 राहुल सांकृत्यायन का बचपन का क्या नाम था ?
राहुल जी का वास्तविक नाम बचपन में केदारनाथ पांडे था।
Q.2 राहुल सांकृत्यायन को महापंडित क्यों कहा जाता है ?
शुक्ल युग के हिंदी साहित्य में उनके अभूतपूर्व योगदान और द्वारा रचित 150 से अधिक ग्रंथों जिनमें, विज्ञान और इतिहास के ग्रंथ भी शामिल हैं। यही कारण है, कि उन्हें महापंडित की उपाधि दी गई है।
Q.3 राहुल सांकृत्यायन ने बौद्ध धर्म की दीक्षा कब और कहां ली ?
केदारनाथ पांडे यानी राहुल सांकृत्यायन ने श्रीलंका में सन 1930 ई0 में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।
आज आपने क्या सीखा ):-
प्रिय पाठको, प्रस्तुत लेख में मानव जीवन में घुमक्कड़ पन को सर्वोच्च बताने वाले महान भाषाविद्य एवं इतिहासकार लेखक पंडित राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय (Rahul Sankrityayan Biography in Hindi), साहित्यिक परिचय, भाषा शैली और राहुल सांकृत्यायन जी की प्रमुख रचनाओं के बारे में बताया गया है।
हम आशा करते हैं कि आपको पंडित राहुल सांकृत्यायन जी की जीवनी पर आधारित यह लेख जानकारी पूर्ण लगा होगा। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो कृपया इसे अपने सहपाठियों और मित्रों के साथ अवश्य SHARE करें; हम इसके लिए आपके आभारी होंगे।