प्रेरणादायक सुविचार हिंदी में

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76- पुस्तको का मूल्य रत्नों से भी अधिक हैं, क्योंकि पुस्तके अंतःकरण को उज्ज्वल करती हैं।


77- अध्ययन से सरल कोई मनोरंजन नही हैं और ना ही कोई आनंद इतना चिरस्थाई हैं।


78- थोड़ा पढ़ना और अधिक सोचना, कम बोलना और अधिक सुनना, यही बुद्धिमान बनने का उपया हैं।


79- जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप से नही कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता हैं।


80- जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता हैं।


81- जीवन छोटा ही क्यों नही हो, समय की बर्बादी से वह ओर भी छोटा हो जाता हैं।


82- संसार मे न ही कोई तुम्हारा मित्र हैं और ना ही कोई शत्रु । तुम्हारे अपने विचार ही इसके लिए उत्तरदायी हैं।


83- क्रोध मष्तिष्क के दीपक को बुझा देता हैं । अतः हमें सदैव शांत और स्थिरचित्त रहना चाहिए।


84- नास्तिक वह हैं, जो अपने आपमें विश्वास नही रखता।


85- अगर तुम पढ़ना जानते हैं तो, हर व्यक्ति स्वयं में एक पुस्तक हैं।


86- वे ही विजयी हो सकते हैं, जिन्हें विश्वास हैं कि वे विजयी होंगे।


87- यदि तुम सफल होना चाहते हैं तो, अपना ध्यान समस्या खोजने में नही बल्कि समाधान खोजने में लगाइए।


88- व्यक्ति के पास जितने अधिक विचार होते हैं, वही उतने ही कम शब्दो मे उन्हें अभिव्यक्त कर देता हैं।


89- अपनी अज्ञानता का आहसास होना, ज्ञान की दिशा में बढ़ाया गया एक बड़ा कदम हैं।


90- तरुण , बलशाली , स्वस्थ और तीव्र मेधा वाले ही ईश्वर के समीप पहुंच सकते हैं।


91- कोई कार्य तुच्छ नही है । यदि मनपसंद कार्य मिल जाएं तो मूर्ख भी उसे पूरा कर सकता हैं, किंतु बुद्धिमान पुरुष तो वही हैं जो प्रत्येक कार्य को अपने लिए रुचिकर बना ले।


92- एक विचार ले लो। उसी एक विचार के अनुसार अपने जीवन को बनाओ, उसी को सोचो , उसी का स्वप्न देखो, और उसी पर अवलम्बित रहों। अपने मष्तिष्क, मासंपेशियों, स्नायुओं और शरीर के प्रत्येक भाग को उसी विचार से ओतप्रेत होने दो और दूसरे स्बे विचारों को अपने से दूर रखों । यहीं सफलता का रास्ता हैं, और यही वह मार्ग हैं, जिसने महान धार्मिक पुरुषों का निर्माण किया हैं।


93- उठिष्ठत! निर्भीक और समर्थ बनों। सम्पूर्ण उत्तरदायित्व अपने कंधों पर संभालो और समझ लो कि तुम ही अपने भाग्य विधाता हो।


94- जितनी शक्ति और सहायता तुम्हे चाहिए, वह सब तुम्हारे अंदर ही हैं। अतः अपना भविष्य स्वयं बनाओ।


95- विकारों की प्रत्येक लहर पर विजय से तुम्हारे सामर्थ्य में वृद्धि होती हैं। अतएव क्रोध के बदले क्रोध नही करना भी अन्य नैतिक कार्यों के समान ही उपादेय नीति हैं।


96- कभी ‘नही’ मत कहना, “मैं नहीं कर सकता ” यह कभी नही कहना ।


97- ऐसा कभी नही हो सकता, क्योंकि तुम अन्नतस्वरूप हो । तुम्हारे स्वरूप की तुलना में देश काल भी कुछ नही हैं। तुम्हारी जो इच्छा होगी वही कर सकते हो, तुम सर्वशक्तिमान हो।


98- यदि बार बार भी असफल हो जाओ, तो भी क्या ? कोई हानि नही सहस्त्र बार इस आदर्श को धारण करो और यदि सहस्त्र बार भी असफल हो जाओ, तो भी एक बार फिर प्रयत्न करों।


99- जिसमें आत्मविश्वास नही हैं, वही नास्तिक हैं। प्राचीन धर्मों में कहा गया हैं कि, जो ईश्वर में विश्वास नही करता वह नास्तिक हैं। नूतन धर्म कहता हैं कि आत्मविश्वास नही रखता, वह नास्तिक हैं।


100- किसी भी प्रकार के कार्य में सारी सफलता, इसी एकाग्रता का परिणाम हैं।

आज आपने क्या सीखा ):-

प्रिय पाठक, सबसे पहले तो हमारे ब्लॉग पर आपको यह मोटिवेशनल सुविचार पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

यदि आप वास्तव में अपने जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन चाहते हैं तो इन सभी श्रेष्ठ विचारों को अपने जीवन में लागू करें सिर्फ अध्ययन तक सीमित ना रहे अन्यथा आपको वैसे परिणाम नहीं मिलेंगे जैसे आपने सोचे हैं ।

हमारी आपको एक विशेष सलाह यह है कि आजकल एक चलन बन गया है कि लोग इंटरनेट से अच्छे विचारों को Copy करके जिस प्रकार सोशल मीडिया एवं अन्य मैसेजिंग एप्स पर सिर्फ शेयर करने के बाद भूल जाते हैं आप ऐसा ना करें दूसरों की नजरों में कुछ पल के लिए अच्छा बनने हेतु आप ऐसी प्रक्रिया करते हैं इससे वास्तव में आपको कोई लाभ नहीं होता है यदि वास्तव में आप लोगों से अपनी सच्ची प्रशंसा चाहते हैं और लोगों को प्रेरित करना चाहते हैं तो इन्हें अपने वास्तविक जीवन में उतारे और एक अच्छा जीवन पाने के बाद लोगों के Role model बने।

हम आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा उपलब्ध कराया गया यह बेहतरीन सुविचारो का कलेक्शन बहुत पसंद आया होगा और आपने इनसे काफी सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त की होगी यदि वास्तव में ऐसा है तो हमें Comment करके नीचे बताएं साथ ही इसे अपने मित्रों और सोशल मीडिया पर SHARE करना ना भूले।

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