Makhanlal Chaturvedi Biography in Hindi: प्रसिद्ध लेखक, कवि, पत्रकार एवं पदम भूषण “माखनलाल चतुर्वेदी जी का जीवन परिचय” (Biography of Makhanlal Chaturvedi in Hindi) एवं उनके साहित्य के योगदान के बारे में नीचे प्रस्तुत लेख में बताया गया है. माखनलाल चतुर्वेदी को ज्ञान आश्रय शाखा के प्रमुख लेखकों में से माना जाता है. उन्होंने अपने समस्त जीवन काल में सर्वाधिक ध्यान राष्ट्रीयतावाद पर दिया.
Makhanlal Chaturvedi Biography in Hindi (माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय)
नाम – माखनलाल चतुर्वेदी |
जन्म – 1889 ई0 बावई उत्तर प्रदेश |
विवाह – अज्ञात नहीं है |
विशेष- ‘कोकिल बोली’ लोकप्रिय |
कार्यक्षेत्र- काव्य का मूलस्वर राष्ट्रीयतावादी |
रचनाएं- युगचरण, समर्पण, सन्तोष, बन्धन सुख |
मृत्यु– 30 जनवरी. 1968 |
पुरस्कार- पदम् -विभूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार |
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म (Birth of Makhanlal Chaturvedi) 1889 ई0 में उत्तर प्रदेश के बावई नामक गाँव में हुआ था । इनके पिता का नाम पण्डित नन्दलाल चतुर्वेदी था । वे एक अध्यापक थे । प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद इन्होंने घर ही संस्कृत, बांग्ला, गुजराती और अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया । तुठ, समय तक इन्होंने अध्यापन कार्य भी किया । इसके पश्चात इन्होंने खण्डवा से ‘कर्मवीर’ नामक साप्ताहिक पत्र निकालना शुरू किया ।
1913 ई0 में इन्हें प्रसिद्ध मासिक पत्रिका ‘प्रभा’ का सम्पादक नियुक्त किया गया । चतुर्वेदी जी ‘एक भारतीय आत्मा’ नाम से लेख और कविताएँ लिखते रहे । इनकी कविताएँ देशप्रेमी युवकों को प्रेरित करती थीं । श्री गणेश शंकर विधार्थी ने इन्हें राष्ट्रिय आन्दोलनों में भाग लेने के लिए प्रेरित 1943 ई0 में इन्हें हिन्दी साहित्य सम्मेल का अध्यक्ष बनाया गया । इनके सम्मान में हरिद्वार में महन्त शान्तानन्द ने चाँदी के रूपयों से इनका तुलादान किया ।
इनकी हिन्दी सेवाओं के लिए सागर विश्वविधालय ने इन्हें डी.लिट् की उपाधि तथा भारत सरकार ने ‘पदम् विभूषण’ की उपाधि से विभूषित किया । इनकी अतिरिक्त मध्य प्रदेश की सरकार ने भी इनहें पुरस्कृत किया । 79 वर्ष की आयु में 30 जनवरी 1968 में क्रान्ति का यह महान् कवि पंचतत्त्व में विलीन (Death of Makhanlal Chaturvedi) हो गया ।
Literary introduction of Makhanlal Chaturvedi in Hindi (माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक परिचय)
चतुर्वेदी जी के मन में देश के प्रति अगाध प्रेम था, इन्होंने अपने मन के अन्तर्द्वन्द्व को कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया । इन्होंने अपना साहित्यिक जीवन पत्रकारिता से शुरू किया । इन्होंने अपने काव्य ‘कोकिल बोली’ शीर्षक कविता में अपने बन्दी जीवन के समय प्राप्त यातनाओं का बड़ा ही मर्मस्पर्शी चित्रण प्रस्तुत किया है । इमके साहित्यिक जीवन का आधार राष्ट्रिय विचारधाराएँ है । इनकी काव्य रचनाएँ राष्ट्रिय भावनाओं पर आधारित है, जिनमें त्याग, बलिदान, कर्त्तव्य -भावना और समर्पण के भाव विधमान हैं ।
ब्रिटिश साम्राज्यवाद से उत्पन्न अत्याचारों को देखकर इनका अन्तर्मन दुःख हो उठता था । अपनी कविताओं प्रेरणा, हुंकार प्रताड़ना , उदबोधन और मनुहार के भावों को भरकर ये भारतीयों की सुप्त चेतना को जगाते रहे । इमके काव्य का मूल स्वर राष्ट्रिवाद है । देश के लिए त्याग और बलिदान का सन्देश सुनाना तथा त्रस्त मानवता के प्रति करूणा जगाना ही इनका लक्ष्य था ।
यह देश के उत्थान की कामना हेतु अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रर्वेदी राष्ट्र-प्रेमी कवि थे। इनका नाम उन कवियों में अमर हैं, जिन्होनें राष्ट्रहित को ही अपना परम लक्ष्य माना था।
Compositions of Makhanlal Chaturvedi in Hindi (माखनलाल चतुर्वेदी की कृतियां)
चतुर्वेदी जी के काव्य का मूलस्वर राष्ट्रीयतावादी है। इनके काव्य का शरीर यदि राष्ट्रीयता है, तो भक्ति और रहस्यवाद उसकी आत्मा है। इनकी कृतियों का संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है।
1. काव्य संग्रह – युगचरण, समर्पण, हिमकिरीटनी, वेणु लो गूँजे धरा।
2. स्मृतियाँ- सन्तोष, बन्धन सुख, इनमें गणेश शंकर विद्यार्थी की मधुर स्मृतियाँ हैं।
3. कहानी– संग्रह कला का अनुवाद, यह इनकी कहानियों का संग्रह है।
4. निबन्ध– संग्रह- साहित्य देवता, यह चतुर्वेदी जी के भावात्मक निबन्धों का संग्रह है।
5. नाट्य– रचना कृष्णार्जुन युद्ध, यह अपने समय की प्रसिद्ध रचना रही है। इस पुस्तक में पैसाणिक नाटक को भारतीय नाट्य परम्परा के अनुसार प्रस्तुत किया गया है। अभिनय की दृष्टि से यह अत्यन्त सशक्त रचना है।
6. हिमतरंगिनी– इस रचना पर ही माखनलाल जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
Language style of Makhanlal Chaturvedi in Hindi (माखनलाल चतुर्वेदी की भाषा शैली)
चतुर्वेदी जी की भाषा ओजपूर्ण है, जिसमें इन्होनें खड़ी बोली का अधिकाधिक प्ररयोग किया। इनकी भाषाओं में बोलचाल में प्रयुक्त शब्दों के साथ-साथ उर्दू-फारसी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। इनकी भाषा में एक विचित्र प्रकार की सरलता और मिठास है। इन्होनें गति शैली और अभिधा शक्ति का अधिकाधिक प्रयोग अपने काव्य में किया है।
वीर और श्रृंगार रस की छटा इनके काव्यों में देखने को मिलती है। इन्होनें अपनी रचनाओं में गेय छन्दों का प्रयोग किया है। साथ ही उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारो का भी अधिकाधिक प्रयोग कियया है। अतः इनकी काव्य रचनाएँ कलात्मक भाव से परिपूर्ण हैं।
♦Conclusion♦
सबसे पहले यह लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद प्रस्तुत लेख में माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय, माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएं, चतुर्वेदी की भाषा शैली, के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है.
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Makhan jii ka janm up me nhi mp me huaa hai
Internet pr glt mt likha kre pls
Koi ek number se exam fail ho jata hai
Iska jimmedaar kon rhta hai?