Bihari Lal Biography in Hindi: बिहारी सतसई जैसी महान रचना के प्रसिद्ध रचनाकार एवं राजा जयसिंह के दरबारी कवि “बिहारी लाल जी का जीवन परिचय” (Biography of Bihari Lal in Hindi) उनकी रचनाएं एवं साहित्यिक योगदान को नीचे लेख में बताया गया है इसे पढ़कर आप उनके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.
Bihari Lal Biography in Hindi (बिहारी लाल की जीवन परिचय)
नाम – बिहारी लाल जी |
जन्म – 1603 ई. |
विवाह – ज्ञात नहीं है |
विशेष- जयपुर नरेश मिर्जा राजा जयसिंह के आश्रित कवि |
कार्यक्षेत्र- रीति एवं प्रेम सौंदर्य |
रचनाएं- बिहारी सतसई |
मृत्यु– 1663 ई. |
कवि बिहारी जी का जन्म (Birth of Bihari Lal) 1603 ई0 में ग्वालियर के पास बसुआ (गोविन्दपुर गाँव) मे माना जाता हैं इनके पिता का नाम प. केशवराय चौबे था बचपन मे ही ये अपने पिता के साथ ग्वालियर से ओरछा नगर आ गए थे। यहीं पर आचार्य केशवदास से इन्होने काव्यशास्त्र की शिक्षा प्राप्त की और काव्यशास्त्र में पारंगत हो गए।
बिहरी जी को अपने जीवन में अन्य कवियों की अपेक्षा बहुत ही कटु अनुभवों से गुजरना पङा, फिर भी हिन्दी साहित्य को इन्होने काव्य-रूपी अमूल्य रत्न प्रदान किया हैं। बिहारी जयपुर नरेश मिर्जा राजा जयसिंह के आश्रित कवि माने जाते हैं। कहा जाता हैं कि जयसिंह नई रानी के प्रेमवश राज-काज के प्रति अपने दायित्व भूल गए थे, तब बिहारी ने उन्हें एक दोहा लिखकर भेजा-
नहिं परागु नहिं मधुर मधु,नहिं बिकासु इहिं कल।
अली कली ही सौं बिंध्यौ,आगे कौन हवाल।।
जिससे प्रभावित होकर उन्होने राज-काज में फिर से रूचि लेना शुरू कर दिया और राजदरबार में आने के पश्चात् उन्होने बिहारी को सम्मानित भी किया । आगरा आने पर बिहारी जी की भेंट रहीम से हुई। 1662 ई. मे बिहारी जी ने बिहारी सतसई की रचना की । इसके पश्चात् उनका मन काव्य रचना से भर गया और ये भगवान की भक्ति में लग गए। 1663 ई0 (Death of Bihari Lal) में यह रससिध्द कवि पंचतत्त्व में विलीन हो गए।
Bihari Lal’s literary Introduction in HIndi (बिहारीलाल का साहित्यिक परिचय)
बिहारी जी ने सात सौ से अधिक दोहों की, रचना की,जो कि विभिन्न विषयों एवं भावों पर आधारित हैं बिहारी जी ने श्रृंगार, भक्ति, नीति, ज्योतिष, गणित, इतिहास तथा आय़ुर्वेद आदि विषय़ों पर दोहों की रचना की है। इनके श्रृंगार सम्बनधी दोहे अपनी सफल एवं सशक्त भाव भिव्यक्ति के लिए विशिष्ट समझे जाते हैं इन दोहों में संय़ोग एवं विय़ोग के मर्मस्पर्शी चित्र प्रस्तुत किए गए हैं।
बिहारी जी के दोहों में नाय़िका भेद, भाव, विभाव, रस, अलंकार आदि सभी दृष्टिय़ों से विस्मय़जनक अभिव्य़क्ति देखने को मिलती हैं। इनकी कविताओं में श्रृंगार रस अधिकाधिक प्रय़ोग देखने को मिलता है। इन्होंने अपने एक-एक दोहे में गहन भावों को भरकर उत्कृष्ट कोटि की अभिव्यक्ति की हैं।
Compositions of Bihari Lal (बिहारी लाल की कृतियां )
बिहारी सतसई मुक्तक शैली में रचित बिहारी जी की एकमात्र है, जिसमें 723 दोहे हैं।बिहारी सतसई को गागर में सागर की संज्ञा दी जाती है। एसे तो बिहारी जी ने रचनाएँ बहुत कम लिखी हैं फिर भी विलक्षण प्रतिभा के कारण इन्हें महाकवि के पद पर प्रतिष्ठित किय़ा गय़ा है।
Bihari Lal’s language style in Hindi (बिहारी लाल की भाषा शैली)
बिहारी जी ने साहित्य़िक ब्रजभाषा का प्रय़ोग किय़ा है। इनकी भाषा साहित्य़िक होने के साथ-साथ मुहावरेदार भी है। इन्होने अपनी रचनाओ मे मुक्तक शैली का प्रय़ोग किय़ा है। इस शैली के अन्तर्गत ही इन्होने समास शैली का विलक्षण प्रय़ोग भी किय़ा गय़ा है। इस शैली के माध्य़म से ही इन्होने दोहे जैसे छन्द को भी सशक्त भावों से भर दिय़ा है।
Bihari Lal’s place in literature in Hindi (बिहारीलाल का साहित्य में स्थान)
बिहारी जी ने रीतिकाल के अद्वितीय कवि हैं। परिस्थितिय़ों से प्रेरित होकर इन्होने जिस साहित्य का सृजन किय़ा, वह साहित्य़ की अमूल्य़ निधि है। य़े हिन्दी साहित्य़ की महान् विभूति हैं, जिन्होने अपनी एकमात्र रचना के आधार पर हिन्दी साहित्य़ जगत् में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
♦Conclusion♦
सबसे पहले यह लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद प्रस्तुत लेख में बिहारी जी का जीवन परिचय, बिहारी जी की रचनाएं, बिहारी जी की भाषा शैली, के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है.
हम जानते हैं कि Bihari Lal Biography in Hindi | बिहारीलाल का जीवन परिचय यह लेख आपको पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो नीचे हमें Comment Section में जरूर बताएं और इस लेख को अपने परिवारिक एवं मित्रों के साथ Share करें.
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बहुत बढ़िया तरीके से आपने लिखा है बिहारी लाल जी की जीवनी को. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !
काफी बढ़िया डिजाईन भी है आपके ब्लॉग का.